प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज समुद्र के अंदर चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर तक बिछाए गए अंडर-सी केबल लिंक का उद्घाटन किया. इस ऑप्टिकल फाइबर केबल के बिछाए जाने के बाद अब पूरा अंडमान निकोबार द्वीप समूह भी तेज रफ्तार इंटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़ गया.
इसका उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज अंडमान को जो सुविधा मिली है, उसका बहुत बड़ा लाभ वहां जाने वाले टूरिस्टों को भी मिलेगा. बेहतर नेट कनेक्टिविटी आज किसी भी टूरिस्ट डेस्टिनेशन की सबसे पहली प्राथमिकता हो गई है.
24 महीने से भी कम समय में रिकॉर्ड बनाते हुए बीएसएनएल ने यह अंडर वॉटर केबल बिछाने का काम किया है. ओएफसी कनेक्टिविटी के कारण इन द्वीपों पर 4 जी मोबाइल सेवाओं को अब तेजी से बढ़ावा मिलेगा. अंडर वॉटर केबल बिछ जाने से टेली-एजुकेशन, टेली-हेल्थ, ई-गवर्नेंस सर्विसेज और पर्यटन जैसे डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा. अब जानते हैं कि समुद्र में कैसे बिछाई जाती हैं ये केबल.
समुद्र में इन केबलों को बिछाने के लिए एक खास तरह के जहाज का इस्तेमाल किया जाता है. इन जहाजों पर यह केबल रहती है और एक खेतों में चलाने वाले हल जैसे उपकरण से इसे समुद्र तल में बिछाया जाता है.
हल जैसी यह मशीन केबल वाले जहाज के साथ चलती है और यह समुद्र के तल पर केबल को बिछाने के लिए एक तरह से जमीन तैयार करती है. वहीं जहाज पर ऊपर लगी स्क्रीन से इसे मॉनिटर किया जाता है.
केबल को बिछाते वक्त अगर तल पर दो केबल को आपस में क्रॉस करना है तो इसके लिए एक विशेष तकनीक अपनाई जाती है. जहा यह केबल खत्म हो रही होती है वहां से इसे उठाकर उसी मशीन के जरिए सी फ्लोर पर लाते हैं. केबल के बिछ जाने के बाद रिमोट से ऑपरेट होने वाली और पानी के अंदर चलने वाली छोटी गाड़ी को समुद्र सतह पर उतारकर यह देखा जाता है कि कहीं कोई चूक तो नहीं हुई है.
इसके बाद भी यह प्रक्रिया तब पूरी होती है जब अंतिम में केबल शिप के जरिए चेक किया जाता है कि समुद्र के तल पर केबल ठीक से बिछी या नहीं क्योंकि उसकी सतह पर भी गड्ढे और पहाड़ होते हैं. अगर इसका ख्याल नहीं रखा गया तो दबाव बढ़ने पर केबल टूट सकती है जिससे इंटरनेट पूरी तरह बाधित हो सकता है.
चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के बीच समुद्र में 2313 किलोमीटर अंडर वॉटर केबल बिछाई गई है जिसका खर्च 1224 करोड़ रुपये आया है. इस ऑप्टिकल फाइबर केबल के बिछने के बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 7 आइलैंड बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ जुड़ गए हैं
इनमें जो आइलैंड शामिल हैं उसमें पोर्ट ब्लेयर के अलावा स्वराज द्वीप
(हैवलॉक), लॉन्ग आइलैंड, रंगत, लिटिल अंडमान, कामोर्ता, कार निकोबार और
ग्रेटर निकोबार प्रमुख है.
इन द्वीपों पर रहने वाले लोग अब तेज इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाएंगे. पोर्ट ब्लेयर में 400 Gb/second स्पीड मिलेगी वहीं अन्य द्वीपों पर 200 Gb/second की स्पीड लोगों को मिलेगी. पोर्ट ब्लेयर में 2x200 गीगाबाइट पर सेकेंड (Gbps) की बैंडविड्थ मिलेगी. जबकि बाकी आइलैंड के बीच बैंडविड्थ 2x100 Gbps रहेगी.