पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर बेइज्जती झेलनी पड़ी है. दरअसल अफगानिस्तान की यात्रा पर गए पाकिस्तानी संसदीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे को अचानक उस वक्त समाप्त कर दिया गया जब उनका विमान वहां लैंड करने वाला था. इसके लिए अफगानिस्तान की तरफ से सुरक्षा खतरे का हवाला दिया गया जो अब पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल को पच नहीं रहा है. (सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं)
बता दें कि पाकिस्तानी संसदीय प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान के आधिकारिक दौरे पर निकले थे. जैसे ही उनका विमान काबुल में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में उतरने वाला था ठीक उसी दौरान एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उनके विमान को लैंड करने की इजाजत नहीं दी और यात्रा को रद्द कर दिया गया. यात्रा को रद्द किए जाने का फैसला उन्हें अफगानिस्तान के किसी बड़ी अधिकारी के जरिए नहीं बल्कि एटीसी के एक कर्मचारी के जरिए मिली जिसे पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के लिए बेइज्जती माना जा रहा है.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक यात्रा को इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि काबुल एयरपोर्ट को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया. हवाई अड्डे के बंद होने की सूचना मिलते ही वहां पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का विमान उतरने वाला था. कहा जा रहा है कि आपसी परामर्श के बाद यात्रा के लिए नई तारीखें तय की जाएंगी. हालांकि इस तरह बिना किसी पूर्व सूचना के यात्रा रद्द करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूर्व पाकिस्तानी सीनेटर फरहतुल्लाह बाबर ने सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि आखिरकार अंतिम क्षणों में रहस्यमय तरीके से यात्रा को रद्द क्यों किया गया.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान के संसदीय सचिव असद क़ैसर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल, तीन दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए बातचीत करने और युद्धग्रस्त क्षेत्र में शांति के लिए बातचीत का लक्ष्य रखा था.
पूर्व पाकिस्तानी सीनेटर फरहतुल्लाह बाबर ने यात्रा रद्द करने के तरीकों पर सवाल उठाते हुए इसे प्रोटोकॉल के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा, क्या लैंडिंग के समय ही सुरक्षा का खतरा पैदा हो गया था? क्या यात्रा से पहले स्थिति साफ़ नहीं हुई थी? यात्रा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई? यात्रा रद्द होने पर मेजबानों द्वारा कोई पछतावा व्यक्त नहीं किया गया, इतने बड़े फैसले की जानकारी टावर ऑपरेटर द्वारा दिया गया, टावर से प्रतिनिधि मंडल के लिए बोलने वाले मेजबान ने उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के सामान्य प्रोटोकॉल को अनदेखा कर दिया, "इसमें और भी बहुत कुछ है,"
हालांकि अफगानिस्तान के इस कार्रवाई को एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने की धमकी के रूप में देखा जा रहा है. कनाडा के पूर्व राजदूत क्रिस अलेक्जेंडर ने इस्लामाबाद को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने का आह्वान किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान खान सरकार तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों का अभी भी समर्थन कर रही है.
पिछले साल दिसंबर में, तालिबान के वरिष्ठ नेताओं के पाकिस्तान में अपने अनुयायियों और तालिबान लड़ाकों से मिलते हुए कई वीडियो सामने आए थे. वीडियो में, तालिबान के उप-नेता मुल्ला अब्दुल गनी बदर, अफगानिस्तान के शांति वार्ता पर तालिबान कैडर के साथ वार्ता करते हुए और पाकिस्तान में तालिबान के शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए दिखाई दिए थे. दिसंबर में, पाकिस्तान के पूर्व सीनेटर अफरासियाब खट्टक ने कहा था कि पाकिस्तान तालिबान का इस्तेमाल रणनीतिक गहराई के बहाने अफगानिस्तान में अपने प्रभुत्व के लिए एक "औजार" के रूप में कर रहा है.