पाकिस्तान-भारत के बीच तनाव के बीच एक वीडियो वायरल हो रहा है जिससे साफ होता है कि पाकिस्तान में हिंदुस्तान के खिलाफ व्यवस्थित तरीके से नफरत फैलाई जा रही है और पाकिस्तान, हिंदुस्तान के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने के लिए गंभीर नहीं है. बीबीसी उर्दू के इस वीडियो में कई पाकिस्तानी हिंदुओं ने अपनी आपबीती सुनाई. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
इन लोगों ने अपने अनुभव साझा किए कि कैसे उन्हें पाकिस्तान में एक हिंदू होने पर दोस्तों से और समाज से तरह-तरह की बातें सुननी पड़ती हैं. उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान की स्कूली किताबों में एंटी-भारत और एंटी-हिंदू प्रोपेगैंडा चलाया जाता है और स्कूली स्तर से ही बच्चों को हिंदुस्तान के खिलाफ भड़काया जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
मसलन इंटरमीडिएट में पाकिस्तान स्टडीज की किताब में लिखा है कि हिंदू समाज की संकीर्ण सोच के चलते उनका पतन हुआ है और इस समाज में महिलाओं को निम्न स्थान दिया गया है और हिंदू धर्म में महिलाओं के साथ अच्छे से व्यवहार नहीं किया जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
इसके अलावा दसवीं क्लास में पाकिस्तान स्टडीज विषय की किताब में लिखा है कि मुसलमानों और हिंदुओं ने बहुत से आंदोलनों में मिल कर एक साथ काम किया था मगर लंबे समय तक दोनों के बीच ऐसा हो नहीं सका क्योंकि हिंदुओं की मुस्लिमों से दुश्मनी सामने आ गई थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
वही सिंध टेक्स्ट बुक बोर्ड के 11वीं और 12वीं क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब पाकिस्तान स्टडीज में लिखा है कि मानवता के दुश्मन हिन्दुओं और सिखों ने लाखों महिलाओं, बच्चों, बूढ़ों और युवाओं को बुरी तरह अपमानित किया और उनका बेरहमी से कत्ल किया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
इसके अलावा पाक के बलूचिस्तान प्रांत में पांचवी क्लास की इतिहास की किताब में बच्चों को पढ़ाया जाता है कि हिंदू लोग काफिर होते हैं जिन्होंने मुस्लिमों को मारा, उनकी प्रॉपर्टी छीनी और उन्हें भारत छोड़कर जाने के लिए मजबूर किया. वे हमें पसंद नहीं करते थे इसलिए हमने पाकिस्तान का निर्माण किया. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
गौरतलब है कि साल 2011 में अमेरिका की सरकार ने एक सर्वे कराया था जिसके बाद सामने आया था कि पाक के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकें हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए पूर्वाग्रह और नफरत को बढ़ाती हैं. बता दें कि पाकिस्तान में में 3.5 प्रतिशत आबादी गैर-मुस्लिम है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी सिर्फ 1.5 प्रतिशत रह गई है. कुछ समय पहले पाकिस्तान के रहने वाले सरमद इकबाल ने भी अपने एक लेख में बताया था कि पाकिस्तान में हिंदूफोबिया काफी जोरों पर है और इसकी तैयारी बचपन में किताबों के सहारे ही शुरू हो जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
इकबाल ने अपने इस लेख में लिखा था कि मेरे कुछ रिश्तेदारों और यहां तक कि कुछ स्कूल टीचर्स ने भी मुझसे कहा था कि कभी हिंदुओं को या भारतीयों को दोस्त मत बनाना. जब मैंने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि वे बेहद चालाक होते हैं और धोखा देने में माहिर होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
उन्होंने ये भी बताया कि उनके स्कूल की पुस्तकों में पाकिस्तान आर्मी की काफी तारीफ की गई थी और ये भी कहा गया था कि भारत हमेशा पाकिस्तान के खिलाफ षडयंत्र में मशगूल रहता है. इसी वजह से साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश भी बना था. उन्होंने ये भी लिखा था कि मोहम्मद गजनवी जैसे लोगों की भी इन किताबों में तारीफ की गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
वही इस मामले में संजय मिठरानी ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा कि पाक में कई महत्वपूर्ण हिंदू लोग रहे हैं लेकिन किताबों में उनके बारे में पढ़ने को नहीं मिलता है. मसलन, जगन्नाथ आजाद नाम के शख्स ने पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान लिखा था लेकिन उनके बारे में जानकारी नहीं है. स्कूली किताबें बनाने वाले लोगों को इस मामले में सोचना चाहिए. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)