कोरोना वायरस पर दो देशों में दो स्टडी हुई हैं. दोनों के नतीजे लगभग एक जैसे है. ये नतीजे आने वाले दिनों में कोरोना से राहत मिलने की उम्मीद को तोड़ने वाले हैं. पहली स्टडी स्पेन में हुई है और दूसरी ब्रिटेन में. दोनों स्टडी में ये सामने आया है कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीज कुछ ही समय में अपनी इम्यूनिटी खो देते हैं. यानी उनके दोबारा संक्रमित होने का खतरा पैदा हो जाता है.
स्पेन में काफी बड़ी स्टडी की गई. करीब 70 हजार लोगों के सैंपल की जांच की गई. जिन लोगों में शुरुआत में एंटीबॉडीज मिली थीं, उनमें से 14 फीसदी लोगों में बाद में एंटीबॉडीज डिटेक्ट ही नहीं हुईं. स्टडी के बाद ये समझा जा रहा है कि कोरोना की इम्यूनिटी शरीर में कम वक्त के लिए ही रहती है. स्टडी में शामिल कुल लोगों में से सिर्फ 5.2% लोगों में एंटीबॉडीज मिलीं जबकि स्पेन में कोरोना संक्रमण काफी अधिक फैला था.
स्पेन की स्टडी में ये भी पता चला कि जो लोग कोरोना संक्रमित होने के बाद बिना लक्षण के थे, उनमें एंटीबॉडीज जल्दी खत्म हो गईं. नई स्टडी के बाद हर्ड इम्युनिटी की उम्मीदों को झटका लगा है.
ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज लंदन में दूसरी स्टडी की गई. 90 मरीजों के इम्यून रेस्पॉन्स का विश्लेषण किया गया. स्टडी में पता चला कि लक्षण सामने आने के 3 हफ्ते बाद मरीज में एंटीबॉडीज काफी अधिक थीं, लेकिन फिर ये घटने लगीं.
जिन लोगों के शरीर में प्रचुर मात्रा में एंटीबॉडीज बनी थीं, उनमें से
सिर्फ 17 फीसदी लोगों में तीन महीने बाद इम्युनिटी का स्तर उतना ही था.
लेकिन लंबे वक्त में ये इम्युनिटी काफी अधिक घट गईं और कई केस में
इम्युनिटी मिली ही नहीं.
ब्रिटेन में की गई स्टडी में ये भी सामने आया कि कोरोना से संक्रमित होने वाले 2 से 8.5 फीसदी मरीजों में कोरोना एंटीबॉडीज डेवलप ही नहीं होती हैं. वहीं, इन दोनों स्टडीज के नतीजे के बाद यह भी सवाल उठने लगा है कि कोरोना वैक्सीन कितने वक्त तक लोगों को सुरक्षित रख पाएंगी? किंग्स कॉलेज लंदन के डॉक्टर केटी डूर्स कहते हैं कि वैक्सीन की एक खुराक काफी नहीं होगी. बार-बार वैक्सीन देने की जरूरत होगी.
स्पेन की स्टडी में शामिल डॉ. रकील योती ने कहा- 'इम्युनिटी अधूरी हो सकती
है. इम्युनिटी अस्थाई भी हो सकती है. यह कम समय के लिए हो सकती है और गायब
भी हो सकती है. हम सबको खुद को सुरक्षित रखना चाहिए और अन्य लोगों की भी
रक्षा करनी चाहिए.'