कोरोना वायरस से ठीक होने वाले लोग बीमारी के कुछ महीने बाद इम्युनिटी खो सकते हैं और इसकी वजह से वायरस उन्हें दोबारा संक्रमित कर सकता है. ब्रिटेन में की गई एक स्टडी में ऐसे संकेत मिले हैं. इससे पहले स्पेन की स्टडी में भी पता चला था कि मरीजों के शरीर में बनी एंटीबॉडीज कुछ हफ्ते में गायब हो सकती हैं.
गार्डियन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने 90 मरीजों के इम्यून रेस्पॉन्स की स्टडी की. स्टडी ने पाया गया कि कोरोना के लक्षण मिलने के 3 हफ्ते बाद एंटीबॉडीज सबसे अधिक मात्रा में मौजूद थीं, लेकिन फिर धीरे-धीरे घटने लगीं.
स्टडी के प्रमुख लेखक और किंग्स कॉलेज लंदन के डॉक्टर केटी डूर्स कहते हैं
कि लोगों में एंटीबॉडीज बन तो रही हैं, लेकिन कम समय में ही यह घटने लगती
हैं.
स्टडी के नतीजे से यह भी पता चलता है कि लोग कोरोना वायरस से लंबे वक्त तक सुरक्षित नहीं रहेंगे और बार-बार संक्रमित हो सकते हैं.
किंग्स कॉलेज लंदन के डॉक्टर केटी डूर्स कहते हैं कि अगर संक्रमण की वजह से पैदा हुई एंटीबॉडीज 2 से 3 महीने में घट जाती हैं तो वैक्सीन का प्रभाव भी ऐसा ही रहने वाला है. वैक्सीन की एक खुराक काफी नहीं होगी और लोगों को बार-बार वैक्सीन देने की जरूरत होगी.
वहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से तैयार कोरोना वैक्सीन के शुरुआती नतीजे से पता चला था कि जानवरों को वैक्सीन देने के बाद उनमें जो एंटीबॉडीज मिलीं वह संक्रमित लोगों में मौजूद एंटीबॉडीज के स्तर से कम थीं.
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट प्रो. जोनाथन हीने कहते हैं कि लोगों को समझना चाहिए संक्रमित होना अच्छी बात नहीं है. कुछ लोग, खासकर युवा ये सोच रहे हैं कि वे संक्रमित होते हैं तो हर्ड इम्यूनिटी में योगदान देंगे. लेकिन वे न सिर्फ खुद के लिए खतरा पैदा करेंगे, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी. और अगर आने वाले वक्त में वे दोबारा संक्रमित होते हैं तो उनके फेफड़ों का नुकसान अधिक हो सकता है.