दुनिया का सबसे खतरनाक ग्लेशियर टूटने से एक पूरे देश का नक्शा ही बदल गया था. आजतक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई कि इस हादसे में कितने लोग मारे गए थे. अनुमान है कि 1800 से 7000 लोगों की मौत हुई थी. इसी घटना के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान ग्लेशियर टूटने जैसी घटनाओं पर गया था. इसके बाद ही पूरी दुनिया में ग्लेशियरों पर रिसर्च शुरू हुई. आइए जानते हैं पेरू में हुए दुनिया के सबसे भयानक ग्लेशियर हादसे की कहानी...
ये बात है 13 दिसंबर 1941 को कॉर्डीलेरा ब्लैंका (Cordillera Blanca) पहा़ड़ के नीचे बने ग्लेशियर से एक बड़ा टुकड़ा टूटकर पाल्काकोचा झील (Lake Palcacocha) में गिरने की. जिससे इस झील की बर्फीली दीवार टूट गई. इससे जो बाढ़ आई, उससे हुआराज कस्बे के 1800 से 7000 लोगों की मौत हो गई थी. ये तस्वीर 1939 की है यानी हादसे से दो साल पहले की. (फोटोःविकीपीडिया)
कॉर्डीलेरा ब्लैंका (Cordillera Blanca) पहाड़ 4566 मीटर यानी 14,980 फीट ऊंचा है. यहां पर कई झीलें हैं. इनमें से एक है पाल्काकोचा झील (Lake Palcacocha). 13 दिसंबर 1941 को इस झील के किनारे मौजूद एक ग्लेशियर का एक बड़ा टुकड़ा टूटकर पाल्काकोचा झील (Lake Palcacocha) में गिरा. साथ में बड़े पत्थर, बर्फीली चट्टानें झील में गिरी. इसकी वजह से झील की दीवार टूट गई. (फोटोःगेटी)
15 मिनट के अंदर झील से बहे पत्थर, पानी, कीचड़ और बर्फीली चट्टानों ने सैंटा नदी की घाटी में सैलाब ला दिया. जिसने हुआराज कस्बे को बर्फीले पानी, कीचड़ और पत्थरों के बीच दबा दिया. इसकी वजह से हजारों लोग मारे गए. अभी तक यह नहीं पता चल पाया कि यहां कितने लोग मारे गए थे. लेकिन माना जाता है कि 1800 से 7000 के बीच लोगों की मौत हुई थी. (फोटोःगेटी)
पाल्काकोचा झील (Lake Palcacocha) में ग्लेशियर टूटने से पहले 10 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी था. ग्लेशियर टूटकर गिरने के बाद इसमें सिर्फ 5 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही बचा. यानी आधी झील खाली हो गई. यहां से निकले पानी, कीचड़ और पत्थरों ने देश के नक्शे को बदल दिया. जहां नदी थी वहां कीचड़ जमा हो गया. कस्बे आज भी पानी में डूबे हैं. (फोटोःगेटी)
पाल्काकोचा झील (Lake Palcacocha) से निकले कीचड़, पानी, हिमखंडों के दबाव से उसके नीचे बनी झीले जीरोकोचा को पूरी तरह से नष्ट कर दिया. अब दो झीलों का पानी तेजी से हुआराज कस्बे की तरफ बढ़ा. पूरे कस्बे में ठंडा कीचड़ फैल गया. इस कीचड़ के साथ पत्थरों के बड़े बोल्डर, बड़े-बड़े हिमखंड भी पहाड़ से बहकर निचले इलाकों में फैल गए थे. (फोटोःगेटी)
पाल्काकोचा झील (Lake Palcacocha) से आगे कोई हादसा न हो इसलिए 1974 में इस झीले के नीचे की तरफ ड्रेनेज सिस्टम बनाया गया. यानी ज्यादा पानी को निकालने के लिए झील के निचले हिस्से में छेद किया गया. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अब इस झील के किनारे के ग्लेशियर पिघल रहे हैं. लेकिन 2009 में झील में 17 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा होने का रिकॉर्ड दर्ज है. (फोटोःगेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की एक स्टडी के मुताबिक हुआराज कस्बा आज भी पाल्काकोचा झील (Lake Palcacocha) से अक्सर तेजी से निकले पानी की वजह से डूब जाता है. लेकिन इस कस्बे की आबादी 1970 से अब तक 34 गुना ज्यादा बढ़ गई है. (फोटोःगेटी)
साल 2015 में हुआराज के लोगों ने दुनियाभर से मदद की अपील की. इसके बाद पूरी दुनिया से वैज्ञानिक इस इलाके को पाल्काकोचा झील (Lake Palcacocha) के कहर से बचाने के प्रयास में जुट गए. क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पिघल रहे ग्लेशियरों को बचाने की मुहिम छेड़ी गई. लोगों को जागरूक किया गया कि ग्लेशियर को लेकर क्या करना है और क्या नहीं. (फोटोःगेटी)