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जानें: क्या है वो मामला जिसमें मुशर्रफ को सुनाई गई सजा-ए-मौत

जानें: क्या है वो मामला जिसमें मुशर्रफ को सुनाई गई सजा-ए-मौत
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पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह मामले में पाकिस्तान की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. यह सजा पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक विशेष अदालत ने सुनाई है.
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दरअसल, पाकिस्तान की शीर्ष अदालत द्वारा गठित एक विशेष पीठ जिसमें पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ अकबर और सिंध उच्च न्यायालय (लाहौर) के न्यायाधीश शाहिद करीम शामिल थे, उन्होंने यह फैसला सुनाया है.
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अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि मामले में शिकायतों, रिकॉर्डों, तर्कों और तथ्यों का विश्लेषण किया गया, जिसमें कहा गया है कि उसने मुशर्रफ को पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 6 के अनुसार उच्च राजद्रोह का दोषी पाया गया है. यह फैसला बहुमत के आधार पर लिया गया है. इसमें तीन जजों ने मुशर्रफ के खिलाफ फैसला सुनाया है.
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इससे पहले परवेज मुशर्रफ की राजद्रोह मामले पर रोक की मांग करने वाली याचिका पर लाहौर हाईकोर्ट ने सोमवार को सरकार को नोटिस जारी किया था, मुशर्रफ ने याचिका में अनुरोध किया है कि उनके खिलाफ लंबित सुनवाई और सभी कार्रवाई को असंवैधानिक घोषित किया जाए.
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डॉन न्यूज के मुताबिक, वकीलों- ख्वाजा अहमद तारिक रहीम और अजहर सिद्दीकी की ओर से दायर याचिका दायर में एलएचसी से विशेष अदालत में कार्यवाही बढ़ाने पर तब तक रोक लगाने के लिए कहा गया जब तक कि एलएचसी की ओर से मुशर्रफ की पूर्व की लंबित याचिका पर फैसला नहीं हो जाता.
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तीन जजों की बेंच ने बयान जारी कर कहा था कि देशद्रोह मामले में 17 दिसंबर को फैसला सुनाया जाएगा. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने मुशर्रफ और पाकिस्तान सरकार की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए विशेष अदालत को 28 नवंबर को फैसला सुनाने से रोक दिया था.
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पाकिस्तान में किया था तख्तापलट: 


मुशर्रफ ने अक्टूबर 1999 में सैन्य विद्रोह कर पाकिस्तान की सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. और 2001 के जून में उन्होंने  सैन्य प्रमुख रहते हुए स्वयं को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था. इसके बाद 2002 के अप्रैल में एक जनमत संग्रह करवाकर पांच साल के लिए राष्ट्रपति बन गए.
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क्यों लगा राजद्रोह का मामला:

2007 के अक्टूबर में मुशर्रफ ने फिर से राष्ट्रपति चुनाव जीता. मगर उनके चुनाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. लेकिन उन्होंने देश में इमरजेंसी लागू कर दिया था. हालांकि उन्होंने अगस्त 2008 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
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मुशर्रफ को इसी मामले में 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था. मुशर्रफ पर मुकदमा 2013 में उस समय दायर किया गया था जब नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) दोबारा सत्ता में आई थी.
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76 साल के मुशर्रफ उपचार के लिए मार्च 2016 में दुबई गए थे और तब से सुरक्षा व स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर नहीं लौटे हैं.

कुछ दिन पहले परवेज मुशर्रफ ने देशद्रोह के आरोपों को नकारते हुए अस्पताल से अपना विडियो संदेश जारी किया था.
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