बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण से पूरी दुनिया परेशान है और यही वजह है कि समुद्रों में प्लास्टिक कचरे ने अब विकराल रूप धारण कर लिया है. प्लास्टिक के बढ़ते प्रदूषण की वजह से अब संयुक्त राष्ट्र ने विकसित देशों के द्वारा विकासशील देशों में प्लास्टिक उत्पादों के निर्यात के नियमों में बदलाव किया है.
अब धनी देश गरीब और विकासशील देशों में प्लास्टिक के ऐसे उत्पाद नहीं भेज पाएंगे जिसे रिसाइकिल करना संभव नहीं या फिर बेहद मुश्किल हैं. प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए ये नए अंतरराष्ट्रीय नियम साल 2021 से लागू होंगे.
1 जनवरी से लागू होने वाले नए नियमों के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर पांच साल के भीतर समुद्रों को स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है. नए नियमों के अनुसार, यूरोपीय संघ ने सभी रिसाइकिल नहीं होने वाले प्लास्टिक कचरों को विकासशील देशों में भेजे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह वियतनाम और मलेशिया जैसे विकासशील देशों को निम्न-गुणवत्ता, मुश्किल-से-रिसाइकिल होने वाले प्लास्टिक भेजने से रोकने और इससे जुड़े व्यापार को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए किया गया है.
फिलहाल विकसित देशों से जो प्लास्टिक उत्पाद गरीब और विकासशील देशों में भेजे जाते हैं उनमें से बड़ी मात्रा में कचरे का ठीक से ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है. इस कचरे का बहुत बड़ा हिस्सा या तो जमीन में चला जाता है या फिर समुद्रों में फेंक दिया जाता है .इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि ऐसे गरीब देशों के पास इसके ट्रीटमेंट की क्षमता ही नहीं है.
नए नियमों के तहत, केवल वैसे ही प्लास्टिक उत्पादों को गरीब और विकासशील देशों में भेजा जा सकेगा जिसे आसानी से रिसाइकिल (फिर इस्तेमाल लायक) किया जा सकता है. गैर-ओईसीडी (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) देशों को निर्यात करने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा, यूरोपीय संघ से ओईसीडी देशों को प्लास्टिक उत्पादों के निर्यात और प्लास्टिक कचरे के शिपमेंट पर कड़े नियमों का लागू करने के लिए कहा गया है.