सुखचैन देवी के लिए नाई का कार्य आसान नहीं था. शुरुआत में लोग बाल-दाढ़ी बनवाने से हिचकते थे, लेकिन वह मायके में ही रहती हैं, इसलिए उन्हें बेटी और बहन कहने वाले उनसे काम करवाने लगे. अब ना ग्रामीणों और ना ही सुखचैन देवी में इस काम को लेकर कोई झिझक है. अब वो सुबह कंघा, कैंची, उस्तरा लेकर गांव में निकल जाती हैं. घूम-घूमकर लोगों की हजामत बनाती हैं. बुलावे पर घर भी जाती हैं. इससे प्रतिदिन करीब 200 रुपये कमा लेती हैं. इससे घर चलाने में काफी सहायता मिलती है.
(Photo Aajtak)