अरुण निषाद का कहना है कि हम लोग यहां बचपन से आते हैं. आज तक हमने सुना ही था कि यहां पर तीनों धारा मिलती है लेकिन हमने कभी देखा नहीं था. हमने पहली बार ऐसा देखा था वह भी सूर्य ग्रहण के पहले. हमने गंगा, यमुना, सरस्वती का पावन संगम देखा. हमने कैमरे से फोटो भी क्लिक की लेकिन वह क्षण मात्र का ही था और वह विलुप्त हो गई. हमारे बुजुर्ग लोग बताते हैं की गंगा, यमुना, सरस्वती का मिलन हमेशा अमावस्या के दिन ही होता है.