नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बनने के बाद से इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. देश के उत्तर पूर्व हिस्से से लेकर दक्षिण तक लोग इस कानून के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और केंद्र सरकार से इस कानून को बदलने की मांग कर रहे हैं. राजधानी दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र भी CAA के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
इस कानून को लेकर सबसे पहले उत्तर पूर्व के महत्वपूर्ण राज्यों में से एक असम में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ जिसके बाद यह बंगाल से लेकर राजधानी दिल्ली तक पहुंच चुका है.
दिल्ली में रविवार को जामिया के छात्रों का प्रदर्शन हिंसक हो उठा और यूनिवर्सिटी
में तोड़फोड़ के अलावा प्रदर्शनकारियों ने सरकारी बसों में भी आग लगा दी.
आग बुझाने के लिए दमकल की 4 गाड़ियां मौके पर पहुंची थीं. बसों में लगी आग
बुझाने के दौरान ही प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों पर हमला कर दिया, जिसमें
एक फायरमैन को काफी चोटें भी लगी.
CAA के खिलाफ दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भी हजारों लोग इकट्ठा हुए और कानून का विरोध किया. प्रदर्शनकारी इस कानून को देश तोड़ने वाला और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बता रहे हैं.
बता दें कि सीएए के तहत मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न के कारण भाग कर भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है.
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के विरोध में पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारियों ने लगातार तीसरे दिन रविवार को राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों को अवरुद्ध करने के लिए उन पर पेड़ काटकर गिराए और टायरों में आग लगाई. सीएए के विरोध में चल रहे प्रदर्शन के चलते पूरी रेल सेवा बाधित हो गई है. दक्षिण-पूर्वी रेलवे के हावड़ा-खड़गपुर खंड पर ईएमयू लोकल ट्रेन सेवा 10 घंटे अवरुद्ध रहने के बाद शनिवार शाम बहाल हुई. पूर्वी रेलवे ने रविवार को चलने वालीं 9 एक्सप्रेस और चार लंबी दूरी की ट्रेनें रद्द कर दीं.
असम के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ के कुछ हिस्सों में इस कानून के विरोध में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ जिसके बाद वहां कर्फ्यू लगा दिया और इंटरनेट को भी बंद कर दिया गया. सीएए 2019 के खिलाफ कई दिनों के हिंसक प्रदर्शन के बाद कर्फ्यू में ढील दी गई. दिसपुर, उजन बाजार, चांदमारी, सिल्पुखुरी और जू रोड में विरोध का व्यापक असर दिखा.
नागरिकता संशोधन कानून राष्ट्रव्यापी है और यह पूरे भारत में लागू होगा. हालांकि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसका विरोध करते हुए उनके राज्य में इस कानून को लागू नहीं करने की बात कही है, लेकिन संविधान के जानकारों का मानना है कि इसके लागू किए जाने पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार का होगा.
पूर्वोत्तर में इसका विरोध इसलिए हो रहा है कि अधिकांश लोगों को आशंका है इसके लागू होने पर उनके इलाके में बाहरियों की तादाद बढ़ जाएगी जिससे उनकी जनसांख्यिकी और भाषाई विशिष्टता बरकरार नहीं रह जाएगी.
फिल्म निर्माता महेश भट्ट ने रविवार को प्रतिज्ञा ली कि वह नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का समर्थन नहीं करेंगे. उन्होंने कांग्रेस नेता संजय झा के साथ एक प्रदर्शन में भाग लिया. शायद कुछ दिन पहले का यह वीडियो अब इंटरनेट पर वायरल हो रहा है, जिसमें भट्ट प्रतिज्ञा लेते दिख रहे हैं.
भारत के अन्य क्षेत्रों मसलन, केरल, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में सीएए का विरोध इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किए जाने को लेकर हो रहा है. उनका मानना है कि यह संविधान के विरुद्ध है.
देश के विभिन्न हिस्सों में इसको लेकर हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
बीते कुछ दिनों से हो रहे विरोध प्रदर्शन में असम और पश्चिम बंगाल में
रेलवे स्टेशनों को जलाने की घटनाएं सामने आई हैं.