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साल 1926 की बाढ़ से बदल गया था ये इलाका, अब गुफाओं में दिखती है अजगरों की बस्‍ती

1926 की बाढ़ में बदल गया था ये इलाका, अब गुफाओं में दिखती है अजगरों की बस्‍ती
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मध्य प्रदेश के मंडला में अजगरों की बस्ती है अजगर दादर. डोलोमाइट केव्स में काफी संख्या में अजगरों का बसेरा है. इंडियन रॉक पाइथन प्रजाति के ये अजगर ठंड में धूप सेंकने बाहर निकलते हैं. चूंकि अजगर कोल्ड ब्लड स्पीसीज हैं तो वह ठंड में डोलोमाइट रॉक्स पर धूप सेंकने निकलते है. अजगरों की यह बस्ती अब मशहूर हो रही है. अजगरों को देखने की ख्वाहिश लिए पर्यटक भी यहां पहुंच रहे हैं. (मंंडला सेे सैैैैयद जावेद अली की र‍िपोर्ट) 

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अजगरों की बस्ती को संरक्षित करने के लिए वन विभाग ने इसे वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और यहां वाच टावर्स बनाने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा है जो अभी लंबित है. अगर आप चट्टानों के बीच बनी खो (केव्स) से निकलते अजगरों देखना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश के मंडला जिले से अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती. 

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दरअसल, मंडला जगमंडल रेंज में डोलोमाइट केव्स में बड़ी संख्या में अजगर पाये जाते हैं. ठंड के दिनों में अजगर धूप सेंकने निकलते हैं. यहां विशालकाय अजगरों को रेंगते, चट्टानों के ऊपर धूप सेंकते और गुफाओं से आते-जाते देखा जा सकता है. यहां आने वाले पर्यटक अजगर को देखकर रोमांचित हो जाते हैं.

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अजगर दादर में डोलोमाइट की करीब 30 गुफाएं हैं. इन्हीं गुफाओं में अजगरों का बसेरा है. डोलोमाइट केव्स से निकलकर डोलोमाइट रॉक्स पर अपने शरीर को गर्म करने के लिए अजगर बाहर निकलते हैं. 

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वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि अजगर दादर में पाये जाने वाले ये अजगर इंडियन रॉक पाइथन प्रजाति के हैं. पाइथन कोल्ड ब्लडेड स्पीसीज है. डोलोमाइट रॉक्स जल्द गर्म और देर से ठंडी होती है. इसी वजह से ठंड में अजगर सुबह करीब 10 बजे से दोपहर डेढ़-दो बजे तक धूप सेंकने निकलते हैं.

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अजगरों की इस बस्ती को संरक्षित करने इसे वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनाने का प्रस्ताव प्रदेश शासन को पहले से ही भेजा जा चुका है जिसकी स्वीकृति अभी नहीं मिली है. अजगरों को दूर से ही देखने के लिए वाच टावर्स बनाने का भी प्रस्ताव लंबित है.

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बताया जाता है कि साल 1926 में आई बाढ़ के बाद यह इलाका पूरी तरह पोला हो गया तो यहां चूहों, गिलहरी आदि जीवों ने अपना बसेरा बना लिया था जो कि अजगरों का प्रिय भोजन माना जाता है. भोजन के लिये अनुकूल इस पोले स्थान को अजगरों ने भी अपना आशियाना बना लिया और यह इलाका अजगर दादर कहलाने लगा.

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अजगर कोल्ड ब्लडेड प्रजाति के होते हैं जिन्हें सर्दी के मौसम में अपनी प्रकृति के चलते सूर्य की रोशनी की जरूरत होती है जिसके लिए वे बाहर निकलते हैं. ये अजगर ग्रामीणों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. अजगरों का नर, मादा और बच्चों का यह तालमेल केवल इन्हीं दिनों देखने को मिलता है.


 

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