चीन से तनाव के बीच भारतीय वायु सेना को सबसे बड़ी ताकत मिलने जा रही है. बाज जैसी तेजी, चील जैसी नजर और हर खतरे से पहले हरकत में आने वाला बेजोड़ फाइटर जेट राफेल चंद घंटों के बाद भारत पहुंचने वाला है. भारतीय वायुसेना अब राफेल जैसे शक्तिशाली फाइटर प्लेन से लैस हो जाएगी. इसकी ताकत और खूबियां इसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फाइटर जेट्स में से एक बनाती हैं.
राफेल रनवे पर शॉर्ट टेकआफ कर सकता है और इस विमान को रनवे पर दौड़ने की
बहुत ज़्यादा जरूरत नहीं होती है. एक बार ये आसमान में पहुंच गया तो फिर
इसपर नजर रखना मुश्किल है. राफेल का थ्रस्ट पावर इसको दूसरे लड़ाकू विमान
से बिल्कुल अलग कर देता है. ये दुश्मन के राडार को पलक झपकते ही चकमा दे
सकता है.यही वजह है कि ये लद्दाख के पहाड़ों में लड़ने के लिए ये बेहद
कारगर है.
राफेल 4 तरह की मिसाइलों से लैस है. हैमर मिसाइल, स्क्लैप मिसाइल, माइका और मेट्योर मिसाइल, ये चारों इसे बेहद घातक बना देते है. स्क्लैप मिसाइल और हैमर मिसाइल गाइडेड मिसाइल है- जो हवा से जमीन पर हमला करती हैं. दोनों मिसाइल को फायर करने के बाद कंट्रोल किया जा सकता है- दोनों मिसाइल के बीच अंतर ये है कि स्क्लैप मिसाइल 500 किलोमीटर तक मार कर सकती है वहीं हैमर मिसाइल 60 से 70 किलोमीटर तक दुश्मन को निशाना बना सकती है.
राफेल में भरोसेमंद मेट्योर और माइका मिसाइल लगी हुई है. दोनों मिसाइलों की स्पीड 4 मैक यानी करीब 5000 किलोमीटर प्रतिघंटा है और ये 80 से 150 किलोमीटर तक हवा से हवा में मार कर सकती हैं. मेटयॉर मिसाइल से विज़ुअल रेंज के बाहर होने पर भी दुश्मन के लड़ाकू विमान को गिराया जा सकता है.
इसके साथ ही राफेल जमीन पर अचानक हमला करने की भी ताकत रखता है. राफेल में जैमर लगे हुए हैं जो दुश्मन के रडार को जाम करने की क्षमता रखते हैं. राफेल में एक टारगेट कॉर्डिनेटर डिवाइस लगा होता है जो राफेल को चील की नजर देता है. दुश्मन के इलाके में जाने से पहले ही टारगेट इसकी नजर में होते हैं. यही वजह है कि बॉर्डर क्रॉस करने से पहले ही पायलट टारगेट को हमले के लिए लॉक कर सकता है.
चीन की सेना S-400 एयर डिफेंस सिस्टम से लैस है लेकिन राफेल इसको भी चकमा दे सकता है. राफेल में एडवांस एयर फील्ड है. ये डिवाइस S-400 को हाई बीम फ्रीक्वेंसी की मदद से चकमा दे सकता है. इससे राफेल की लोकेशन पकड़ में नहीं आती.
राफेल लद्दाख जैसे दुर्गम इलाके में भी बेहद फायदेमंद है. दरअसल राफेल बेहद ठंडे इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ये पहाड़ में लड़ने के लिए डिजाइन किया गया है और तेजी से रास्ते बदल सकता है. पलक झपकते ही ऊंचाई तक पहुंच सकता है और इतनी ही तेजी से गोते भी लगा सकता है.
अब अगर राफेल के अटैक के दायरे की बात करें तो अंबाला में तैनाती से इसका बेहद फायदा होगा. राफेल के अटैक का जो दायरा है वो करीब करीब 1700 किलोमीटर के घेरे में होता है. अंबाला से लद्दाख की दूरी करीब 430 किलोमीटर है. ये दूरी आपको ज़्यादा लग सकती है लेकिन सुपरसॉनिक विमान के लिए ये बहुत कम दूरी है.
इसका मतलब ये है कि ये लड़ाकू विमान और इसके हथियार इस सर्कल में कहीं भी मार कर सकते हैं. इस सर्कल में पूर्वी लद्दाख, चीन के अवैध कब्ज़े वाला अक्साई चिन, तिब्बत, पाकिस्तान और पीओके है.