कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जाति और गोत्र एक बार फिर चर्चा में है. पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में राहुल गांधी ने खुद को कौल ब्राह्मण और दत्तात्रेय गोत्र का बताते हुए पूजा की. इससे पहले भी राहुल गांधी खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण और शिवभक्त घोषित कर चुके हैं. उनके गोत्र पर विपक्ष ने सवाल उठाया था. बीजेपी राहुल गांधी को उनकी जाति और गोत्र को लेकर घेरती रहती है.
दरअसल, राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी की शादी फिरोज गांधी से हुई जो कि पारसी थे. इंदिरा गांधी के दो बेटे हुए- संजय गांधी और राजीव गांधी. राजीव ने ईसाई सोनिया से शादी की और उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी हैं. संजय ने सिख मेनका से शादी की और उनके बेटे वरुण हैं. राजीव गांधी और संजय गांधी के नाना-नानी यानी नेहरू कौल ब्राह्मण थे. जिसे लेकर कभी कोई विवाद नहीं रहा.
नेहरू कश्मीरी पंडित थे और इस परिवार का मूल टाइटल कौल था. जवाहरलाल नेहरू के पूर्वज 'राज कौल' 18वीं सदी में दिल्ली के मुगल दरबार में आ गए थे. शहर में कौलों की अच्छी-खासी संख्या थी इसीलिए नेहरू के पूर्वज भी यहीं आ गए थे. ऐसा माना जाता है कि इस परिवार का नाम कौल-नेहरू एक साथ चलने लगा क्योंकि दिल्ली में इनका घर नहर के किनारे था.
19वीं सदी में कौल-नेहरू परिवार आगरा चला गया. आगे चलकर कौल विलुप्त हो गया और नेहरू मुख्य रूप से रह गया. इसकी शुरुआत मोतीलाल नेहरू ने की थी. उन्होंने बार काउंसिल इलाहाबाद में अपना नाम केवल मोतीलाल नेहरू लिखवाया था. जवाहरलाल नेहरू की जीवनी में जॉन लैने ने लिखा है कि नेहरू का परिवार कश्मीरी पंडित था और इनके पूर्वज राज कौल जो कि कश्मीर में संस्कृत और फारसी के विद्वान थे, वो दिल्ली आ गए थे.
एक नजरिया ये भी है कि नेहरू कश्मीर के सरस्वती ब्राह्मण थे. उनके कुछ पूर्वज नहर खोदने का काम करते थे इसलिए उनके वंशज नेहरू लगाने लगे. कुछ लोगों का कहना है कि कश्मीर के बडगाम जिले के नारू गांव से नेहरू की उत्पत्ति हुई जहां पर उनके पूर्वज रहते थे.
मोतीलाल नेहरू ने अपने बेटे जवाहर लाल नेहरू के लिए कश्मीरी ब्राह्मण के एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की कमला कौल को चुना. शादी के वक्त जवाहर लाल नेहरू 26 वर्ष के थे और कमला नेहरू की उम्र 14 थी.
जवाहर लाल नेहरू की इकलौती बेटी और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पारसी फिरोज गांधी से शादी की. फिरोज जहांगीर का जन्म तत्कालीन बंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था. मुंबई के कई पारसियों की तरह यह परिवार भी गुजरात से यहां आया था. पेशे से मरीन इंजीनियर उनके पिता जहांगीर फरदून भरुच से ताल्लुक रखते थे जबकि उनकी मां रतिमाई सूरत से थीं.
फिरोज और इंदिरा की शादी से नेहरू खुश नहीं थे. दोनों ने महात्मा गांधी के
हस्तक्षेप के बाद शादी इलाहाबाद में की थी जिसके बाद फिरोज को महात्मा
गांधी ने अपना सरनेम भी दिया.
अगर कोई पारसी पुरुष गैर-पारसी महिला से विवाह करता है तो उसे पारसी समुदाय स्वीकार नहीं करता है हालांकि उनके बच्चों को पारसी धर्म में आने की इजाजत होती है. पारसी बच्चे अधिकतर अपने पिता के ही धर्म को ही अपनाते हैं.
इंदिरा और फिरोज 1943 में अलग हो गए लेकिन दोनों ने कभी तलाक नहीं लिया.
इंदिरा के दोनों बेटे राजीव गांधी और संजय गांधी ने भी अपने पिता की बजाय
अपनी मां का धर्म, हिंदू धर्म अपनाया, हालांकि दोनों ने ही हिंदू धर्म से
बाहर शादी की. राजीव ने कैथोलिक सोनिया से और उनके भाई संजय ने मेनका गांधी
से शादी की जो कि सिख हैं.
पारसी पिता और हिंदू मां की संतान राजीव गांधी ने कैथोलिक सोनिया से शादी की. हालांकि सोनिया हमेशा अपनी कैथोलिक पहचान को पीछे रखा और अपनी सास इंदिरा गांधी की तरह रहन-सहन ही अपनाया. गांधी परिवार में हर रस्म शादी से लेकर अंतिम संस्कार तक हिंदू रीति-रिवाज से होते रहे हैं, ना कि पारसी या ईसाई धर्म के अनुरूप.
भारत की चुनावी राजनीति में जाति और धर्म के नाम पर गोलबंदी का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है. ऐसे में राहुल गांधी के बयान को बीजेपी के बयानों के जवाब के तौर पर ही देखा जाना चाहिए, लेकिन इनके पूर्वज कश्मीरी ब्राह्मण थे और कौल थे, यह सच है.