बढ़ती आबादी और पूंजीवाद के चलते हालात केवल धरती पर ही खराब नहीं हुए हैं बल्कि समुद्री दुनिया को लेकर भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. एक ताजा रिसर्च में खुलासा हुआ है कि समुद्र में बहुत ज्यादा मछली पकड़े जाने से शार्क मछलियां हमेशा के लिए खत्म हो सकती हैं. इस रिसर्च के मुताबिक पिछले 50 सालों में 70 प्रतिशत शार्क मछलियां खत्म हो गईं.
वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में पाया कि साल 1970 के बाद से शार्क और रे मछलियों की जनसंख्या में 71 फीसदी की गिरावट आई है. इस स्टडी के अनुसार, शार्क और रे मछलियों की 31 में से 24 प्रजातियां अब संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में आ चुकी हैं. इसके अलावा ओशेनिक वाइटटिप और ग्रेट हैमरहेड शार्क पर भी विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. वही साल 1970 के बाद से हिंद महासागर में शार्क मछलियों के हालात और ज्यादा बिगड़े हैं और यहां 84.7 प्रतिशत शार्क मछलियों की आबादी में गिरावट आई है.
वैज्ञानिकों को कई दशकों से पता है कि शार्क की प्रजातियों में काफी कमी देखने को मिल रही है लेकिन पिछले 50 साल ग्लोबल स्तर पर शार्क मछली के लिए बेहद भयावह रहे हैं. कनाडा के सिमोन फ्रासेर यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटेर के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि वर्ष 1970 से अब तक मछली पकड़ने पर दबाव 18 गुना बढ़ गया है जिसके चलते समुद्र के इको सिस्टम पर प्रभाव पड़ा है और कई जीव बड़े पैमाने पर विलुप्त हो रहे हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि शार्क और रे मछलियों को बचाने के लिए जल्द कदम उठाए जाने की जरूरत है. समुद्री मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर रिचर्ड शेर्ले ने कहा कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो हालात काफी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं. रिचर्ड ने ये भी कहा कि इस मामले में सरकारों पर भी लोगों द्वारा दबाव बनाने की जरूरत है. वही मरीन बायोलॉजिस्ट स्टुअर्ट सैंडिन का इस मामले में कहना है कि समुद्र के पर्यावरण में जब भी चीजें असामान्य होती हैं इसका सबसे पहले पता शार्क को ही चलता है. इस विशेषता के चलते शार्क अपने शिकार भी ढूंढती हैं लेकिन इसी के चलते ही कई बार शार्क को बेवजह इंसानों का शिकार भी होना पड़ता है.
इस मामले में बात करते हुए ड्यूक यूनिवर्सिटी के इकोलॉजिस्ट ड्यूक ने कहा कि जब आप समुद्र के टॉप शिकारियों मसलन शार्क को खत्म कर देते हो तो समुद्री फूड साइकिल पूरी तरह से हिल सकती है और इससे काफी चीजें प्रभावित हो सकती है. शार्क समुद्र के शेर या टाइगर की तरह होती हैं और वे पूरे इको-सिस्टम को बैलेंस करने में मदद करती हैं.