स्मार्टफोन के इस दौर में पहली बार मोबाइल पर बात करने की खुशी क्या होती है अगर आपको ये जानना हो तो
लद्दाख के पैंगॉन्ग झील के पास बसे लोगों से पूछिए. पैंगॉन्ग झील के दूरदराज के गांवों में पहली बार लोगों ने मोबाइल फोन पर बात की तो उनकी खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. (तस्वीर - प्रसार भारती)
दरअसल लद्दाख के पैंगॉन्ग झील के आसपास के इलाकों और गांवों को पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी से जोड़ा गया है. लोग इससे इतने खुश हुए कि मौके पर ही नाच और गाकर जश्न मनाना शुरू कर दिया. (तस्वीर - प्रसार भारती)
लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के आसपास, मेरक गांव और अन्य क्षेत्रों में पहली बार बीएसएनएल के जरिए लोगों को मोबाइल सेवा मिली है. इसके लिए सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल ने उन इलाकों में टावर लगाया है. मोबाइल टावर न केवल स्थानीय आबादी को दुनिया के बाकी हिस्सों से जोड़ेगा, बल्कि दो सैन्य और अर्धसैनिक अड्डों, थाकुंग और ज्ञान सिंह थापा पोस्ट को भी एक दूसरे से जोड़ दिया है. (तस्वीर - प्रसार भारती)
मोबाइल सेवा बहाल होने के मौके पर चुशुल के स्थानीय पार्षद कोंचोक स्टैनज़िन ने कहा, इस क्षेत्र को 1947 के बाद पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी मिली है. इन्होंने ही सेना और अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों के साथ मिलकर मराक में बीएसएनएल टॉवर का उद्घाटन किया. (तस्वीर - प्रसार भारती)
स्टैनज़िन ने Economic Times को दिए बयान में बताया कि मैंने बीएसएनएल टावर का उद्घाटन किया और सेना के अधिकारियों ने इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर मदद की और ऑप्टिकल फाइबर केबल भी प्रदान किया. उन्होंने कहा कि मोबाइल सेवा शुरू होने से इन गांवों और आसपास के इलाकों में रहने वाले लगभग 300 लोग अब बाकी दुनिया से जुड़ गए हैं. (तस्वीर - प्रसार भारती)
बता दें कि सामरिक दृष्टि से यह इलाका भारत के लिए बेहद अहम है. बीते पूरे साल इस इलाके में भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने थी जिसके बाद दोनों देश के बीच तनाव काफी बढ़ गया था. जिन गांवों में मोबाइल सेवा की शुरुआत हुई है वो इलाके पैंगॉन्ग झील के फिंगर 3 और 4 के विपरीत किनारे पर हैं. ये इलाका मई 2020 से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच फ्लैश प्वाइंट में से एक था. (तस्वीर - प्रसार भारती)