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इजरायल के साइंटिस्‍ट ने कृत्रिम गर्भ से पैदा किए चूहे, इंसानों पर भी नजर

Reproduction Without Pregnancy
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इजरायल के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने सभी अविष्कारों से बड़ा अविष्कार किया है. विजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने कृत्रिम गर्भ में चूहों का प्रजनन कराया है. यानी बिना गर्भधारण किए ही चूहों का प्रजनन कराया है. भविष्य में ये तकनीक इंसानों के लिए भी काम आ सकती है. क्योंकि इंसानों में बच्चे पैदा करने के लिए पुरुष तो सिर्फ एक कोशिका देते हैं, लेकिन महिला बच्चे को 9 महीने गर्भ में रखती हैं. अपनी सेहत और करियर रिस्क में डालती हैं. (फोटोः गेटी)

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विजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (Weizmann Institute of Science) के वैज्ञानिकों ने निषेचित अंडों (Fertilised Eggs) को ग्लास वायल में रखा. उन्हें वेंटिलेटेड इनक्यूबेटर में रोटेट करते रहे. 11 दिन के बाद उनसे भ्रूण बन गया. ये चूहे के गर्भधारण का बीच का हिस्सा है. सारे भ्रूण सहीं से विकसित हुए. उनका दिल कांच के वायल से भी दिख रहा था. उनका दिल प्रति मिनट 170 बार धड़क रहा था. (फोटोः गेटी)

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विजमैन इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट्स ने कहा है कि अभी हम इंसानों के साथ ऐसा करने से एक कदम दूर हैं. गर्भधारण की प्रक्रिया में काम का विभाजन सभी जीवों में असंतुलित है. इंसानों की बात करें तो पुरुष सिर्फ एक कोशिका देकर अलग हो जाता है. जबकि उस कोशिका को विकसित करने का काम महिला का होता है. यानी गर्भवती बनने के दौरान महिलाओं को कई तरह के कष्ट से गुजरना पड़ता है. (फोटोः गेटी)

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कई बार महिलाओं को अपनी सेहत और करियर को भी दांव पर लगाना पड़ता है. लेकिन कृत्रिम गर्भ (Artificial Womb) की बदौलत प्रजनन की प्रक्रिया महिला के दर्द और कष्ट को कम कर देगी. यानी गर्भधारण की प्रक्रिया में पुरुषों के जैसी ही भागीदारी महिलाओं की होनी चाहिए. पारंपरिक मान्यताओं के खिलाफ है कृत्रिम गर्भ का अविष्कार लेकिन ये दुनिया के कई महिलाओं को अलग-अलग तरह की पीड़ाओं से मुक्ति दे सकती है. (फोटोः गेटी)

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बच्चों को लैब में पैदा करने का प्रयास कई दशकों से चल रहा है. 1992 में जापानी शोधकर्ताओं ने रबर की थैलियों में बकरी को विकसित करने में कुछ सफलता हासिल की थी. इसके बाद साल 2017 में चिल्ड्रन हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया (CHOP) ने खुलासा किया था कि उसने प्लास्टिक बैग्स में भेड़ का भ्रूण विकसित किया है. (फोटोः गेटी)

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साल 2019 में डच वैज्ञानिकों को यूरोपियन यूनियन से 24.76 करोड़ रुपये का ग्रांट मिला था ताकि वो कृत्रिम गर्भ के जरिए इंसानों के बच्चे पैदा करें. इस तरह क प्रयोग करने वाले वैज्ञानिकों को आमतौर पर परंपरा और संस्कृति तोड़ने वाला कहा जाता है. लेकिन ये लोग धरती पर इंसानों की प्रजाति को बचाने के प्रयास में जुटे हैं. ताकि महिलाओं के गर्भवती होने के बाद उन्हें दर्द न सहना पड़े. गर्भपात या अन्य किसी तरह की शारीरिक दिक्कतों का सामना न करना पड़े. (फोटोः गेटी)

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कृत्रिम गर्भ (Artificial Womb) का लाभ ये होगा कि विकसित हो रहे बच्चे के अंदर अगर कोई सेहत या अंग संबंधी दिक्कत होगी तो उसे तुरंत उसी समय ठीक किया जा सकेगा. ये भी हो सकता है कि कृत्रिम भ्रूण से इंसानों को होने वाली कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है. कृत्रिम गर्भ में ही बच्चे को इस लायक बना दिया जाए कि उसे किसी तरह की बीमारियां या संक्रमण न हो. (फोटोः गेटी)

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हालांकि, इसपर मुद्दा ये भी उठता है कि इससे महिलाओं के प्रजनन और गर्भधारण करने की आजादी छिन जाएगी. इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में गर्भपात कराने की समय सीमा 24 हफ्ते हैं. क्योंकि इस समय भ्रूण के विकसित होने का शुरुआती दौरा होता है. लेकिन अगर यही सारे भ्रूण कृत्रिम गर्भ में विकसित किए जाएं तो क्या होगा? क्या उससे पैदा होने वाले बच्चे को इंसानों जैसे अधिकार मिलेंगे. (फोटोः गेटी)

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जिन देशों में गर्भपात कानूनी तौर पर वैध है, वहां पर महिलाओं के अपने शरीर के साथ सकारात्मक व्यवहार करने का अधिकार भी है. वहां पर वो ऐसी तकनीक का उपयोग करके महिला अपने शरीर को कष्ट पहुंचाए बिना मां बन सकती हैं. क्योंकि कृत्रिम गर्भ से पैदा होने वाले बच्चों की सुविधा मिलने के बाद महिलाएं अनचाहे गर्भ को खत्म कर सकती हैं. (फोटोः गेटी)

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बड़ी-बड़ी टेक और मीडिया कंपनियां जैसे एपल, गूगल, फेसबुक और बजफीड अपनी महिला कर्मचारियों के अंडों को सुरक्षित रखने का ऑप्शन दे रही हैं. ताकि वो अपने करियर के बेहतरीन समय को एंजॉय कर सकें. जब वो करियर में आगे बढ़ जाएं और उनका मां बनने का मन करे तो अपने अंडे से प्राकृतिक रूप से मां बन सकती हैं. (फोटोः गेटी)

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