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अंतरिक्ष में अब भारत की बढ़ेगी ताकत, सेमी क्रायोजेनिक इंजन टेस्टिंग पर मेकॉन ने शुरू किया काम

अब देश में ही बनेगा रॉकेट का क्रायोजनिक इंजन
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अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत लगातार अपनी क्षमता बढ़ा रहा है. पहले जो सेमी क्रायोजनिक इंजन विदेशों से आता था अब भारत में ही उसका निर्माण भी शुरू हो गया है. रांची स्थित मेकॉन कंपनी ने सेमी क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी तैयार की है. देसी इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी से अंतरिक्ष में राकेट द्वारा पेलोड ले जाने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. (इनपुट - मृत्युंजय श्रीवास्तव)

अब देश में ही बनेगा रॉकेट का क्रायोजनिक इंजन
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इस मुश्किल काम को सच कर दिखाया है रांची स्थित भारत सरकार के उपक्रम मेकॉन के इंजीनियरों ने जिसकी बदौलत अब सेमी क्रायोजनिक इंजन की टेस्टिंग भारत में ही हो सकेगी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन( इसरो) ने मेकॉन को क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग डिज़ाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. 
 

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महेन्द्रगिरि स्थित इसरो के सेंटर के लिए डिज़ाइन तैयार किया गया है. अब सेमी क्रायोजनिक इंजन के टेस्टिंग के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा जिससे पैसों की भी बचत होगी. देसी इंजन का जो डिज़ाइन तैयार किया गया है उससे अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट के पेलोड ले जाने की क्षमता भी बढ़ जाएगी. 

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अबतक अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट सिर्फ चार टन ही उपकरण ले जा सकता था. अब देसी इंजन बनने से सामान ले जाने की क्षमता छह टन हो जायेगी. इस रॉकेट को अगस्त 2021 में लांच करने की तैयारी हो रही है. मेकॉन के सीएमडी अतुल भट्ट ने कहा इसरो ने मेकॉन कोसेमी  क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग डिज़ाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. महेन्द्रगिरि स्थित इसरो के सेंटर के लिए डिज़ाइन तैयार किया गया है. अब सेमी क्रायोजनिक इंजन के टेस्टिंग के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

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मेकॉन देश की नामी सरकारी डिजाइनिंग उपक्रम है. इसका मुख्यालय झारखण्ड की राजधानी रांची में ही है. मेकॉन ने ही चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग पैड का डिज़ाइन तैयार किया था. कुछ साल पहले तक घाटे में रहने वाली मेकॉन कंपनी अब मुनाफा देने वाली केंद्र सरकार की उपक्रम बन गयी है. कोरोना काल में मेकॉन को 1600 करोड़ का वर्कआर्डर मिला है.  

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मेकॉन के सीएमडी अतुल भट्ट ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2030 तक स्टील के क्षेत्र में 300 मीट्रिक टन उत्पादन का  जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसमें विदेशों से साज़ो सामानों को मंगवाने में 25 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा खर्च होगी, लेकिन मेकॉन रांची में ही साज़ो सामानों को बनवाने की क्षमता रखती है जिससे 25 बिलियन डॉलर की इकोनॉमी विदेश जाने से बच जायेगी. 
 

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मेकॉन में उन सामानों का डिज़ाइन तैयार होगा और केंद्र की रांची स्थित उपक्रम एचईसी में उत्पादन किया जायेगा. इससे कई MSME का भी उद्धार होगा. इससे देश का तो विकास होगा ही झारखंड का भी चौतरफा विकास होगा. मेकॉन को कई रक्षा उत्पाद बनाने का भी आर्डर जल्द ही मिल सकता है. 

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