जहां तालियों की गड़गड़ाहट के बीच लोग उनकी हौसला अफजाई करते थे, वह शख्स आज इतना बेबस है कि परिवार का खर्च चलाने के लिए हर दिन मजदूरी के लिए निकलता है. वह कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण कहीं भी मैराथन हो नहीं रही तो हम पुरस्कार कहां से जीतेंगे और फिर कहां से चलेगा हमारा परिवार.