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निर्भया के दोषियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद शबनम के लिए तैयार, कही ये बात

शबनम को फांसी देने के लिए तैयार पवन जल्लाद
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उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में 15 अप्रैल 2008 को हुई सात हत्याओं की दोषी शबनम नाम की महिला को फांसी दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के बाद राष्ट्रपति भवन से भी उसकी दया याचिका खारिज हो चुकी है. शबनम को फांसी देने के लिए मेरठ का पवन जल्लाद तैयार है. पवन जल्लाद का कहना है कि वो फांसी देने को वो एकदम तैयार है, बस तारीख और बुलावे का इंतजार है. (इनपुट-उस्मान चौधरी)

शबनम को फांसी देने के लिए तैयार पवन जल्लाद
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दरअसल, शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. आठवीं पास शबनम ने अपने माता-पिता भाई-बहन समेत 7 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. शबनम के माता पिता प्रेमी से उसकी शादी कराने के लिए तैयार नहीं थे. बस इसी के बाद शबनम और उसके प्रेमी ने इस खूनी साजिश को अंजाम देने का फैसला कर लिया.

शबनम को फांसी देने के लिए तैयार पवन जल्लाद
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इस हत्याकांड में दोषी शबनम को सजा-ए-मौत देने का रास्ता लगभग साफ हो चुका है. राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका खारिज कर दी है और कभी भी फांसी का फरमान जारी हो सकता है. पवन मथुरा जेल में फांसी घर का निरीक्षण कर चुके हैं. पवन जल्लाद ने ही निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देकर रिकॉर्ड बनाया था. 

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शबनम को फांसी देने के लिए तैयार पवन जल्लाद
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पवन जल्लाद का कहना है कि वह बिल्कुल तैयार हैं, अगर उन्हें बुलाया जाता है तो वो बिल्कुल तैयार हैं. पवन ने कहा कि वो एक साल पहले मथुरा स्थित फांसी घर देखने के लिए गए थे. उसमें थोड़ी सी खराबी थी उसको ठीक करने के लिए भी बोला गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में यह पहली फांसी होगी जो किसी महिला को दी जाएगी.

शबनम को फांसी
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क्या है शबनम का पूरा मामला: यह मामला 2008 का है. उत्तर प्रदेश के अमरोहा में बावनखेड़ी गांव में शिक्षक शौकत अली पत्नी हाशमी, बेटा अनीस, राशिद, बहू अंजुम और इकलौती बेटी शबनम के साथ रहते थे. पिता ने इकलौती बेटी को बड़े लाड़-प्यार से पाला था और उसे बेहतर शिक्षा दी जिसकी बदौलत शबनम की शिक्षामित्र में नौकरी भी लग गई थी.

शबनम को फांसी
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इसी दौरान शबनम को गांव के आठवीं पास युवक सलीम से प्यार हो गया और दोनों शादी करना चाहते थे. लेकिन अलग-अलग जाति के मुस्लिम होने की वजह से दोनों की शादी के लिए शबनम के घर वाले तैयार नहीं थी, शबनम जहां सैफी थीं वहीं सलीम पठान बिरादरी का था.  

परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर शबनम आए दिन अपने प्रेमी को मिलने के लिए घर बुलाने लगी जिसका परिवार के लोग विरोध करते थे. प्रेमी से मिलने में कोई बाधक ना बने इसके लिए शबनम अपने घर के लोगों को चुपके से नींद की गोलियां देने लगी. 14 अप्रैल 2008 की रात को भी शबनम ने अपने प्रेमी से मिलने के लिए परिवार के लोगों को नींद की गोलियां दे दीं.

शबनम को फांसी
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उसी दौरान शादी में बाधक बन रहे परिजनों को लेकर शबनम ने अपने प्रेमी सलीम से शिकायत की और उन्हें रास्ते से हटाने की साजिश रच दी. रात को नशे की हालत में सो रहे पिता शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस, राशि, भाभी अंजुम और फुफेरी बहन राबिया समेत 7 लोगों को एक-एक कर दोनों ने कुल्हाड़ी से काट दिया. 

घटना को अंजाम देकर सलीम वहां से फरार हो गए लेकिन शबनम घर में रही और सुबह होते ही रोने का नाटक करते हुए गांव वालों को बताने लगी की बदमाशों ने आकर उसके पूरे परिवार की हत्या कर दी. जब लोग उनके घर पहुंचे तो दो मंजिले मकान के तीन कमरों में बस खून ही खून पसरा था और बिस्तर पर शव पड़े हुए थे.

शबनम को फांसी
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इस नरसंहार की वजह से बावनखेड़ी गांव कई महीनों तक देश में सुर्खियों में रहा और उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने भी वहां का दौरा किया था. हालांकि शबनम के शुरुआत में दिए बयान के बाद ही पुलिस को उस पर शक हो गया था. मोबाइल कॉल रिकॉर्ड ने शबनम की पोल खोल दी और जब सख्ती से पूछताछ की गई तो वो टूट गई और उसने पूरी खौफनाक साजिश का खुलासा कर दिया. बता दें कि ट्रायल के दौरान जेल में ही शबनम ने सलीम के बच्चे को भी जन्म दिया था.

कैसे दी जाती है फांसी
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अब जबकि शबनम की फांसी की चर्चा जोरों पर है. आइए जानते हैं कैसे दी जाती है फांसी और फांसी घर में  क्या होता है. एक बार पवन जल्लाद ने आजतक की क्राइम तक टीम से बात करते हुए बताया था कि फांसी घर में फांसी से पहले इशारों में क्या बात की जाती है और उसके बाद कैसे फांसी के फंदे पर पहुंचाया जाता है. (File Photos)

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कैसे दी जाती है फांसी
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पवन ने बताया था कि फांसी की तारीख तय होते ही हमें जेल में बुलाया जाता है. फांसी देने के पहले यह सब प्लान किया जाता है कि कैदी के पैर कैसे बांधने हैं, रस्सी कैसी बांधनी हैं. फांसी देने की प्रक्रि‍या के बारे में पवन जल्लाद ने बताया कि जो समय तय होता है, उससे 15 म‍िनट पहले फांसी घर के ल‍िए चल देते हैं. हम उस समय तक तैयार रहते हैं. फांसी की तैयारी करने में भी एक से डेढ़ घंटा लगता है.

कैसे दी जाती है फांसी
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कैदी के बैरक से फांसी घर में आने की प्रक्र‍िया पर पवन ने बताया था कि फांसी घर लाने से पहले कैदी के हाथ में हथकड़ी डाल दी जाती है, नहीं तो हाथों को पीछे कर रस्सी से बांध द‍िया जाता है. दो स‍िपाही उसे पकड़कर लाते हैं. बैरक से फांसी घर की दूरी के आधार पर फांसी के तय समय से पहले उसे लाना शुरू कर देते हैं.

कैसे दी जाती है फांसी
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फांसी घर के बारे में बात करते हुए पवन कहते हैं कि फांसी देते समय 4-5 स‍िपाही होते हैं, वह कैदी को फांसी के तख्ते पर खड़ा करते हैं. वह कुछ भी बोलते नहीं हैं, केवल इशारों से काम होता है. इसके ल‍िए एक द‍िन पहले हम सब की जेल अधीक्षक के साथ एक मीटिंग होती है. इसके अलावा फांसी घर में जेल अधीक्षक, ड‍िप्टी जेलर और डॉक्टर भी मौजूद रहते हैं.

कैसे दी जाती है फांसी
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फांसी देते समय वहां मौजूद लोग कुछ भी बोलते नहीं हैं, स‍िर्फ इशारों से काम होता है. इसकी वजह बताते हुए पवन कहते हैं कि इसकी वजह है क‍ि कैदी कहीं ड‍िस्टर्ब न हो जाए, या फ‍िर वह कोई ड्रामा न कर दे. इसील‍िए सभी को सब कुछ पता होता है लेक‍िन कोई भी कुछ बोलता नहीं है.

कैसे दी जाती है फांसी
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ऐसे होती है फांसी: फांसी देने में 10 से 15 म‍िनट लगते हैं. इसकी पूरी प्रक्र‍िया पवन ने बताते हुए कहा था कि कैदी के हाथ तो बंधे होते हैं, फ‍िर उसके पैर बांधे जाते हैं, स‍िर पर टोपा डाल द‍िया जाता है और फ‍िर फांसी का फंदा कसना होता है. पैर को बांधना और स‍िर पर टोपा डालने का काम हमेशा साइड से क‍िया जाता है क्योंकि यह डर रहता है क‍ि मरने से पहले कैदी कहीं फांसी देने वाले को पैरों से घायल न कर दे. 

स‍िर में फंदे को कसने के ल‍िए कैदी के चारों तरफ घूमना होता है. जैसे ही सारा काम पूरा हो जाता है, हम लीवर के पास पहुंच जाते हैं और जेल अधीक्षक को अंगूठा द‍िखाकर बताते हैं क‍ि हमारा काम पूरा हो गया है. अब इशारा होते ही लीवर खींचने की तैयारी होती है.

कैसे दी जाती है फांसी
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बनाया जाता है गोल निशान:  पवन ने बताया कि कैदी को खड़े करने की जगह पर एक गोल निशान बनाया जाता है ज‍िसके अंदर कैदी के पैर होते हैं. जेल अधीक्षक रूमाल से इशारा करता है तो हम लीवर खींच देते हैं. कैदी सीधे कुएं में टंग जाता है. 10 से 15 म‍िनट में उसका शरीर शांत हो जाता है. उसके बाद डॉक्टर कैदी के शरीर के पास जाता है और उसकी हार्ट बीट चेक करता है. उस समय तक उसकी धड़कन बंद हो चुकी होती है.

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कैसे दी जाती है फांसी
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फांसी के बाद की प्रक्रिया: उसके बाद डॉक्टर, स‍िपाही को इशारा करते हैं तो स‍िपाही फंदे से कैदी की बॉडी को उतार लेते हैं. वहीं, जो चादर होती है, वह बॉडी पर डाल दी जाती है. फंदा और रस्सी न‍िकाल दिया जाता है.

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