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शहादत पर गर्व, परिवार गमगीन, शहीद को अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब

शहादत पर गर्व, परिवार गमगीन, शहीद को अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब
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लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में झारखंड साहिबगंज के जवान कुंदन कुमार ओझा भी शहीद हो गए. जांबाज कुंदन लेह में पदस्थापित थे और रविवार को उनकी ड्यूटी गलवान घाटी पर ही थी. जहां चीनी सैनिकों से भारतीय जवानों की झड़प हुई. देश सेवा का जज्बा और दुश्मनों को मरते दम तक चुनौती देने वाले जांबाज कुंदन ओझा ने मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया.
शहादत पर गर्व, परिवार गमगीन, शहीद को अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब
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वहीं, उनकी इस शहादत से परिवार ही नहीं पूरे देश की आंखें नम हैं. दूसरी तरफ उनके जाने से घर में मातम पसरा हुआ है. जहां पिता को बेटे की शहादत पर गर्व था तो वहीं, उनके जाने का गम भी है. शहीद बेटे का शव जैसे ही पैतृक घर पहुंचा, मां का कलेजा फट पड़ा और पिता का दिल रो पड़ा. अपने लाल के शव को देखकर परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. जिसकी वजह से मां बार-बार बेहोश भी हो गई. यही नहीं, अपने वीर सपूत की एक झलक देखने के उत्साह में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. 12 किलोमीटर तक का रास्ता जैसे लोगों से पट गया था.
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भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में गलवान घाटी में शहीद हुए आर्मी जवान कुंदन ओझा का शव जैसे ही उनके पैतृक गांव पहुंचा लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा. लोगों ने आर्मी जवान को उनकी शहादत के लिए सलाम किया. कुंदन गलवान में पदस्थापित थे. रविवार को उनकी ड्यूटी उसी गलवान घाटी पर थी जहां चीन सैनिकों से भारतीय सैनिकों की झड़प हुई.
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लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में कुंदन शहीद हो गये. अंतिम यात्रा में पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से 10 लाख रुपये नगद साथ ही शहीद की पत्नी या परिजन को पेट्रोल पंप देने की अनुशंसा भारत सरकार से की जाएगी.
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शहीद जवान कुंदन कुमार ओझा की उम्र 26 साल थी. वे साहिबगंज जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के डिहारी गांव के रहने वाले हैं. शहीद कुंदन रविशंकर ओझा के पुत्र हैं. शहीद के दो भाई और एक बहन है. कुंदन ओझा की शादी दो साल पहले सुल्तानगंज में हुई थी. एक महीने पहले ही वह बेटी के पिता बने थे.
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ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक, 7 साल पहले उनकी बहाली आर्मी में हुई थी. इस वक्त कुंदन लद्दाख के लेह में पदस्थापित थे. पैतृक गांव से पहुंचने के बाद पूर्व मंत्री लुईस मरांडी अंतिम यात्रा में शामिल हुए और उनकी शहादत को सलाम किया. उनके चाचा ने फिर एक बार मांग की है कि चीन को सबक सिखाया जाना चाहिए.
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शहीद कुंदन ओझा को देखने और उनकी शहादत को सलाम करने के लिए 12 किलोमीटर तक सड़कों पर लोगों की लाइन लगी हुई थी. श्मशान घाट पर अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि खड़े होने तक की जगह नहीं थी. लोग छतों पर से शहीद के दर्शन करना चाहते थे. देश पर कुर्बान होने वाले कुंदन ओझा की एक झलक पाने के लिए लोग बेताब दिखे.
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