वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद चर्चा में बना हुआ है. दरअसल, कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था. तीन दिन और 10 घंटे में सर्वे पूरा कर लिया गया. कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र कल सर्वे रिपोर्ट दाखिल करेंगे. इसके बाद कोर्ट तय करेगा कि ज्ञानवापी का सच क्या है? इससे पहले आइए ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं. साथ ही 10 फोटोज में आप ज्ञानवापी मस्जिद को देख सकते हैं.
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सबसे प्रचलित मान्यता ये है कि इसे साल 1664 में बनवाया गया था. कहा जाता है कि इससे पहले यहां मंदिर हुआ करता था. जिसे मुगल शासक औरंगजेब ने तुड़वा दिया. बता दें कि यह मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से बिल्कुल सटा हुआ है.
साल 1991 में ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सबसे पहले कोर्ट में पहुंचा था. तब काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास समेत 3 लोगों ने एक याचिका दायर की थी. व्यास परिवार का दावा है कि मुस्लिम पक्ष के पास जमीन के कागज नहीं हैं.
मुस्लिम पक्ष भी यह मानती है कि ज्ञानचंद व्यास की जमीन पर मस्जिद बनी है. लेकिन उनके मुताबिक ज्ञानचंद व्यास ने मस्जिद के लिए अपनी मर्जी से जमीन दी थी.
तब कोर्ट ने तय किया था कि जमीन का मालिकाना हक व्यास परिवार का ही है. लेकिन उस पर बनी मस्जिद मुसलमानों की है. लेकिन साल 2021 में ज्ञानवापी को लेकर एक नई याचिका दायर की गई.
18 अगस्त, 2021 को वाराणसी की एक अदालत में 5 महिलाओं ने एक याचिका दायर की. इसमें मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में पूजा-अर्चना की मांग की गई.
याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए एक कमीशन बना दिया. कोर्ट ने परिसर का वीडियोग्राफी कराकर सर्वे रिपोर्ट देने को कहा.
सर्वे का काम पूरा हो गया है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के वजूखाने का पानी निकाला गया तो वहां 12.8 फीट व्यास का शिवलिंग मिला. वहीं मुस्लिम पक्ष ने इससे इनकार किया है.
शिवलिंग मिलने के दावे पर बोलने से सभी अधिकारी बच रहे हैं. कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने अदालती गाइडलाइंस का हवाला देते इस मामले पर चुप्पी साध ली.