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देश के लिए क्यों जरूरी है काकरापार परमाणु संयंत्र का KAPP-3 रिएक्टर

देश के लिए क्यों जरूरी है काकरापार परमाणु संयंत्र का KAPP-3 रिएक्टर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के परमाणु वैज्ञानिकों को काकरापार एटॉमिक पावर स्टेशन के तीसरे रिएक्टर के शुरू होने की बधाई दी. यह बधाई इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि इस पावर स्टेशन का रिएक्टर-3 पूरी तरप से स्वदेशी है. यानी मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट की एक बड़ी सफलता. आइए जानते हैं कि काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रिएक्टर-3 (700 MWe KAPP 3 Reactor) की खासियत क्या है?
देश के लिए क्यों जरूरी है काकरापार परमाणु संयंत्र का KAPP-3 रिएक्टर
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स्वदेश में ही डिजाइन किया गया 700 एमडब्‍ल्‍यूई का केएपीपी-3 रिएक्टर ‘मेक इन इंडिया’ का एक गौरवपूर्ण उदाहरण है. परमाणु रिएक्टर के चलने योग्य होने के बाद भारत उन देशों की कतार में खड़ा हो गया है, जिनके पास न्यूक्लियर पावर तकनीक है.
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भारत ने तीन स्तर का न्यूक्लियर प्रोग्राम का विकास किया है. इसने क्लोज्ड फ्यूल साइकल पर आधारित एक तीन चरणों वाला परमाणु कार्यक्रम विकसित किया है, जहां एक चरण में इस्तेमाल हुए ईंधन को फिर से प्रोसेस करके अगले चरण के लिए ईंधन बनाया जाता है.
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काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र गुजरात के सूरत शहर से 80 किलोमीटर दूर ताप्ती नदी के किनारे स्थित है. पूर्णत: भारत में निर्मित 700 एमडब्‍ल्‍यूई वाले इस प्लांट का विकास और ऑपरेशन न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) ने किया है.
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इस प्लांट में 220 एमडब्‍ल्‍यूई के दो और स्टेशन केएपीएस-1 और केएपीएस-2 भी हैं. पहले प्लांट की शुरुआत 1993 और दूसरे की शुरुआत 1995 में हुई थी. तीसरे प्लांट की शुरुआत जून 2010 में हुई थी, जो अभी पूरी हुई है और इसने काम करना शुरू कर दिया है. (फोटोः गेटी)
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700 MWe KAPP-3 Reactor इस न्यूक्लियर पावर स्टेशन का तीसरा फेज़ है. ये एक हैवी वाटर रिएक्टर प्लांट है, जिसे भारत के सर्वश्रेष्ठ पावर स्टेशन का दर्जा मिला है. (फोटोः गेटी)
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KAPP-3 Reactor देश का सबसे बड़ा हैवी वाटर रिएक्टर है, जिसे स्वदेशी तरीके से बनाय गया है. इसमें प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन के तौर पर डाला जाएगा. इसके अलावा हैवी वाटर को मॉडरेटर के तौर पर. अब तक इससे बड़ा हैवी वाटर रिएक्टर महाराष्ट्र के तारापुर में था. वह 540 MWe का है. (फोटोः गेटी)
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700 MWe के देश में चार रिएक्टर बन रहे हैं. KAPP-3 और 4 काकरापार में और RAPS-7 और 8 रावतभाटा में. 700 MWe के देश में कुल 12 रिएक्टर बनने हैं. ये सारे रिएक्टर तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और हरियाणा में बनेंगे. (फोटोः गेटी)
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भारत सरकार की योजना है कि वह अपनी परमाणु ऊर्जा शक्ति को 2031 तक 6780 MWe से बढ़ाकर 22,480 MWe कर दे. इससे देश को परमाणु ऊर्जा का बड़ा स्रोत मिल जाएगा. (फोटोः गेटी)
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स्वदेशी हैवी वाटर रिएक्टर KAPP-3 बनाने के बाद अब सरकार की योजना है 900 MWe प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर (PWR) का स्वदेशी डिजाइन बनाया जाए. (फोटोः गेटी)
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गुजरात के काकरापार में 700 MWe KAPP-3 और KAPP-4 रिएक्टर बनाने की कुल लागत है करीब 11,500 करोड़. इस संयंत्र से लोगों को सस्ती बिजली मिलने की उम्मीद है. साल 2010 में इस संयंत्र से लोगों को 2.80 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलने की गणना की गई थी. जिसमें अब कुछ इजाफा हो सकता है.  (फोटोः गेटी)
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