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चीन कर सकता है हिंद महासागर में घुसपैठ, भारतीय नौसेना की ये है योजना

6 Nuclear Submarines for Indian Navy
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भारतीय नौसेना ने विमानवाहक युद्धपोत की बजाय छह परमाणु पनडुब्बियों को तवज्जो दी है. नौसेना ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सूचना दी है. इंडियन नेवी ने बताया कि पहले भी 6 परमाणु पनडुब्बियों पर चर्चा हो चुकी है. यह इसलिए जरूरी है क्योंकि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) हिंद महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ाने के प्रयास में लगा है. उस खतरे को रोकने के लिए इंडियन नेवी को इन सबमरीन्स की जरूरत पड़ेगी. (फोटोः INS Chakra)

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साउथ ब्लॉक के अधिकारियों की माने तो नौसेना ने देश की रक्षा संबंधी योजनाओं को बनाने वाले संबंधित लोगों को बताया है कि एक संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस इस महीने बुलाना चाहिए. इस कॉन्फ्रेंस में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां यानी SSN's बनाने पर चर्चा होनी चाहिए. पनडुब्बियों को विमानवाहक पोत की तुलना में ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए. (फोटोः INS Chakra)

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भारतीय नौसेना भारत सरकार से एक्सेपटेंस ऑफ नेसेसिटी (AON) प्राप्त करना चाह रही है. ताकि वह पनडुब्बी के प्रोजेक्ट को जल्दी से जल्दी शुरू करा सके. क्योंकि चीन ने हर पांच साल में 12 हजार टन का एक Renhai क्लास डेस्ट्रॉयर बनाने की क्षमता हासिल कर ली है. इसलिए भारत को इन छह पनडुब्बियों पर तेजी से काम करना होगा. (फोटोः INS Chakra)

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इस समय पाकिस्तान की पांच पनडुब्बियों में से सिर्फ एक ही काम कर रही है. इसका नाम है अगोस्ता 90बी. ये पनडुब्बी भी बंगाल की खाड़ी तक अपना रास्ता बना सकती है वह भी कम से कम नौसैनिकों के साथ. इसमें पारंपरिक मिसाइल और वेपन सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है.  परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां पूरे इंडो-पैसिफिक इलाके में बिना एक बार भी ऊपर आए पानी के अंदर ही पेट्रोलिंग कर सकती हैं. न ही ये राडार पर डिटेक्ट होती है न ही किसी तरह से इनका पता चलता है. क्योंकि ये बेहद शांति से समुद्र के अंदर अपना मूवमेंट करती हैं. (फोटोःगेटी)

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चीन के पास करीब एक दर्जन ऐसी पनडुब्बियां हैं. उसकी नई पनडुब्बी टाइप 095 तो बेहद शांति से समुद्र में चलती है. उसने पिछले हान क्लास की पनडुब्बियों को बिना आवाज चलने के मामले में पीछे छोड़ दिया है. अब ऐसे पड़ोसियों की साजिशों को जवाब देने के लिए भारतीय नौसेना को भी परमाणु पनडुब्बियों की जरूरत है. (फोटोःगेटी)

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भारत के पास तीन विकल्प हैं. वह रूस, फ्रांस या अमेरिका के साथ मिलकर आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत पनडुब्बियां बना सकता है. इस मामले में भारत का पार्टनर फ्रांस नजर आ रहा है. क्योंकि उसने कलवारी क्लास पनडुब्बियों का डिजाइन बनाया था. ये डीजल अटैक सबमरीन हैं. इस समय फ्रांस और भारत मिलकर ब्राजील के लिए अलवारो अलबर्टो नाम की परमाणु पनडुब्बी बना रहे हैं. (फोटोःगेटी)

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पनडुब्बियों के मामले में भारत का भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार होने के अलावा फ्रांस इंटरनेशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेगुलेशन (ITAR) की बाध्यताओं से मुक्त है. भारत अभी रूस में बनी अकुला क्लास परमाणु पनडुब्बी का उपयोग कर रहा है. यह पनडुब्बी भारत ने लीज पर ली है. जब इस पनडुब्बी की लीज खत्म होगी तब रूस ऐसी ही एक और पनडुब्बी लीज पर देगा. (फोटोःगेटी)

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चीन के 12 हजार टन वजन वाले डेस्ट्रॉयर को टक्कर देने के लिए भारत 7500 टन का INS विशखापत्तनम क्लास की गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर बना रहा है. यह एक साल के अंदर भारतीय नौसेना में शामिल कर ली जाएगी. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में विचार करने वाले लोगों का मानना है कि चीन से अगला खतरा इंडो-पैसिफिक से आ सकता है. खासतौर से हिंद महासागर की तरफ से घुसपैठ करने की कोशिश कर सकता है. (फोटोःगेटी)

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चीन के 12 हजार टन वजन वाले डेस्ट्रॉयर को टक्कर देने के लिए भारत 7500 टन का INS विशखापत्तनम क्लास की गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर बना रहा है. यह एक साल के अंदर भारतीय नौसेना में शामिल कर ली जाएगी. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में विचार करने वाले लोगों का मानना है कि चीन से अगला खतरा इंडो-पैसिफिक से आ सकता है. खासतौर से हिंद महासागर की तरफ से घुसपैठ करने की कोशिश कर सकता है. (फोटोः सैटरनैक्स)

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अमेरिकी नौसेना ने साउथ चाइना सी में अपनी मौजूदगी बना रखी है. इसलिए चीन हिंद महासागर का सहारा ले सकता है. इसके लिए चीन मलाका स्ट्रेट, सुंडा या लोम्बोक स्ट्रेट से पनडुब्बियां लेकर हिंद महासागर में आ सकता है. वहीं, भारत अपना दूसरा स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत इस साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. INS विक्रमादित्य देश की पश्चिमी समुद्री सीमा और INS विक्रांत पूर्वी समुद्री सीमा पर तैनात किया जाएगा. दूसरी परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी INS अरिघट को भी इस साल भारतीय नौसेना को सौंप दिया जाएगा. (फोटोः सैटरनैक्स)

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