सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाकर और सात समंदर पार एक नई जिंदगी का सपना दिखाकर कई भारतीय पति अपनी पत्नियों को अकेले छोड़कर विदेश भाग चुके हैं. इन एनआरआई पतियों की बीवियों ने अब पासपोर्ट रद्द कराने की मुहिम छेड़ दी है.
ये महिलाएं कोई सरकारी अफसर नहीं हैं और ना ही कोई एक्टिविस्ट. अमृतपाल कौर और उनके जैसी तमाम महिलाएं पासपोर्ट ऑफिस में इसलिए स्वेच्छा से काम कर रही हैं ताकि वे भगौड़े एनआरआई पतियों को सबक सिखाने में दूसरी महिलाओं की मदद कर सकें.
चंडीगढ़ शहर के रीजनल पासपोर्ट चीफ सिबास कबिराज ने रॉयटर्स एजेंसी को
बताया कि ये सब तब शुरू हुआ, जब तमाम शादीशुदा महिलाएं उनके पास आकर मदद
मांगने लगीं.
कबिराज कहते हैं कि भारतीय कानून पत्नियों को गुमराह करने वाले भारतीय एनआरआई पतियों के पासपोर्ट सस्पेंड या रद्द करने की अनुमति देता है. पासपोर्ट अथॉरिटी को इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी होती है. इसके साथ ही यह भी साबित होना चाहिए कि पासपोर्टधारी ने कोई जानकारी छिपाई या झूठ बोला, या उसके खिलाफ कोर्ट समन जारी हुआ है. कुल मिलाकर, पासपोर्ट रद्द करने के लिए तमाम कागजी कार्यवाही करनी पड़ती है.
कबिराज ने महिलाओं को पासपोर्ट कानून महिलाओं को समझाया और उन्हें कंप्यूटर व जरूरी सामान के साथ एक कमरा दे दिया. उन्होंने महिलाओं से कहा कि अगर वे पेपरवर्क पूरा कर लेंगी तो वह उस पर साइन कर देंगे. यह विदेश बैठे अपने पतियों से इंसाफ हासिल करने का सबसे सही तरीका है.
कबिराज के मुताबिक, इन महिलाओं ने मिलकर 400 पासपोर्ट रद्द कराए हैं. विदेश मंत्रालय में अपने भगौड़े पतियों के खिलाफ 5000 से ज्यादा महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई है. वह कहते हैं कि उनके ऑफिस की महिलाओं ने तमाम देशों में छिपकर बैठे भारतीय पतियों के मन में एक तरह का डर पैदा कर दिया है.
इन महिलाओं का कहना है कि शादी में लड़के दहेज में हजारों डॉलर्स वसूलते हैं. फिर उस पैसे का इस्तेमाल विदेश जाकर बसने में खर्च करते हैं. जबकि बीवियों-बच्चों को यहीं छोड़ देते हैं.
पासपोर्ट ऑफिस में वॉलन्टियर कर रहीं रीना मेहला की 24 साल की थी जब उनकी शादी हुई. पांच साल बाद उनके पति ने बताया कि वह भारत के किसी दूसरे शहर में एक्स्ट्रा ड्यूटी करने जा रहे हैं और उसके बाद तस्करों से बात करके अमेरिका जाने की योजना बनाने लगे. उनके पति राहुल कुमार फिलहाल ब्रॉन्क्स शहर में रह रहे हैं.
रीना ने फेसबुक पर सर्च करके आखिरकार अपने पति के बारे में पता लगा लिया. उन्होंने विदेश मंत्रालय और अमेरिकी दूतावास को खत लिखकर अपने पति का पासपोर्ट भी रिवोक करा लिया. फिलहाल, अमेरिकी कोर्ट में उनके पति के केस का
फैसला होना है. हालांकि, रीना कहती हैं कि वह अब भी अपने पति से बहुत
ज्यादा प्यार करती हैं. वह कहती हैं, हमारी आत्मा भी इसकी इजाजत नहीं दे रही थी क्योंकि पति ही सब कुछ होता है. पति परमेश्वर माना जाता है.
रीना अमृतपाल कौर के साथ रहती हैं. अमृतपाल कौर बताती हैं कि कैसे शादी के तीन दिनों बाद उनके पति ने 14,000 डॉलर्स मांगने के लिए कहा था. उनके पति कुलप्रीत सिंह ने कहा कि वह इंग्लैंड की दो साल की अपनी कमाई भी उसके हवाले कर दे. शादी के दो सप्ताह बाद ही कुलप्रीत ऑस्ट्रेलिया चले गए. कई महीनों बाद उसने अमृतपाल से कहा कि वह उसे एक सरप्राइज देने वाला है. वह इतनी उत्साहित हो गई कि पति के लिए एक महंगी डायमेंड रिंग ऑर्डर कर दी. लेकिन जब तलाक के पेपर उसके पास आए तो वह हैरान रह गई.
ऐक्टिविस्ट सतविंदर
सतविंदर के पति ने भी उनका साथ 2015 में छोड़ दिया था. अब उनके पति पोलैंड में रहते हैं. अब वह अपनी जैसी पीड़ित महिलाओं की लड़ाई लड़ रही हैं. वह बीवियों को छोड़कर चले गए पतियों की विदेशी गर्लफ्रेंड्स और बच्चों की तस्वीरें फेसबुक से निकाल लेती हैं.
सतविंदर ने अपने पति के खिलाफ 11 कोर्ट केस किए हैं. वह बताती हैं कि वह हर रोज अपने पति को मैसेज करती हैं, उनके पति उनके हर मैसेज देखते हैं लेकिन जनवरी महीने से एक भी रिप्लाई नहीं आया. पड़ोसी और रिश्तेदार अब सतविंदर का मजाक उड़ाने लगे हैं. यहां तक कि अपने ही घर में उनको तंज का सामना करना पड़ता है.
वहीं, सतविंदर के लेक्चरर और इलेक्ट्रिकल पति इंजीनियर अरविंदर पाल सिंह का कहना है कि वह यूरोप इसलिए गए ताकि पैसे कमा सकें. वह कहते हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी सतविंदर को यूरोप में स्टूडेंट वीजा पर लाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे. वह कहते हैं कि जब एक बार वह घर आए थे तो उनकी पत्नी और मां ने समस्याओं का पिटारा खोल दिया था.
अरविंदर का कहना है कि उसकी नौकरी चली गई और उसे दो बार मूव करना पड़ा. उसने सतविंदर को बताया कि जब उसके पास पैसे होंगे, वह उसे भेजेगा. लेकिन दो महीने बाद मेरी पत्नी ने पुलिस में केस दर्ज करा दिया और मेरे पिता को गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में मुझे भी भारतीय दूतावास से एक फोन आया और बताया गया कि मेरा पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है. इसी के बाद मैंने घर पैसे भेजना बंद कर दिया और तलाक की अर्जी दे दी.
वह रॉयटर्स एंजेसी से बातचीत में कहते हैं कि अब उन्हें महिलाओं पर बिल्कुल भरोसा नहीं रह गया है. वह खुद को शरणार्थी बताते हैं और कहते हैं कि मेरे पास ना तो परिवार है, ना घर. मेरी बीवी कम से कम अपने देश और रिश्तेदारों के बीच है. मेरे पास तो रहने तक की जगह नहीं है. ये नरक है.
अरविंदर का कहना है कि अगर वह भारत आता है तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उसे सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा. बिना दस्तावेजों के वह अब कहीं आने-जाने के लिए तस्करों की मदद लेता है.
पुलिस अफसर बलजीत
पुलिस अधिकारी बलजीत कौर दोहरी जिंदगी जी रही हैं, एक तरफ वह पुलिसकर्मी है और दूसरी तरफ पति द्वारा छोड़ दी गई महिला. वह कहती हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे ऐसी जिंदगी जीनी पड़ेगी. मुझे लगता था कि मेरी जिंदगी कुछ अलग होगी.
42 वर्षीय बलजीत पंजाब के एक आर्मी अफसर के घर में पैदा हुईं. उनकी तीन बहनें थीं. जब उनकी सारी बहनें सेटल हो गई तो उन्होंने 39 साल की उम्र में शादी की. पुलिसकर्मी होने के बावजूद उन्होंने दबाव में आकर भारी-भरकम दहेज दिया.
बलजीत ने बताया कि उसके मंगेतर हरमनदीप सिंग सेखन उससे यह पूछते रहते थे कि दहेज में क्या-क्या मिलेगा. जल्द ही बलजीत को समझ में आ गया कि हरमन को उसकी कोई जरूरत नहीं थी बल्कि उसे केवल पैसा चाहिए था.
शादी के एक महीने और दो दिन बीतने के बाद बलजीत के पति अमेरिका चले गए. अमेरिका जाने के एक हफ्ते बाद उसने बलजीत को अपनी नौकरी गंवाने की जानकारी दी और उससे पैसे भेजने के लिए कहा. बलजीत ने पैसे देने से इनकार कर दिया.
6 अक्टूबर 2014 को आखिरी बार दोनों की बात हुई थी. उसके बाद दोनों कानूनी
लड़ाई लड़ रहे हैं. कोर्ट ने बलजीत को पति के घर का मालिकाना हक दे दिया
है लेकिन उसे आज तक कोई मेंटीनेंस नहीं मिल पाया. वह कहती हैं, मेरे पास नौकरी है इसलिए मैं मैनेज कर सकती हूं लेकिन जिन लड़कियों के पास नहीं है, उनका क्या?
अब ये महिलाएं एक-दूसरे का सहारा बन गई हैं और भगौड़े एनआरआई पतियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है.