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PAK में डॉक्टरी, भारत आकर बेच रहे 50 पैसे वाली टॉफी

PAK में डॉक्टरी, भारत आकर बेच रहे 50 पैसे वाली टॉफी
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भारत में भले ही नागरिकता संसोधन बिल को लेकर विरोध हो रहा हो मगर यह बिल जिनके लिए लाया गया है, उनके हालात पाक‍िस्तान में कुछ ठीक नहीं थे. अपनी बहन-बेटियों को बचाने के लिए पाकिस्तान से भागे हिंदू कह रहे हैं कि वहां पर उन पर जुल्म ढाया जाता है. भले ही जान दे देंगे मगर पाकिस्तान नहीं जाएंगे. भारत में बिना नागरिकता जी रहे इन लोगों की जिंदगी नर्क के सामान बनी हुई है.
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जैसलमेर में कहीं पत्थरों को जोड़कर झोपड़ी बनाकर तो कहीं खुले आसमान के नीचे कुछ लोग रहे हैं. यह पाकिस्तान में रहने वाले वह हिंदू हैं जो किसी भी तरह से जान बचाकर भारत आए हैं. बिना नागरिकता के न रहने को छत, न पीने को पानी और न खाना खाने की जगह. अपना सब कुछ पाकिस्तान छोड़कर भारत आए यह लोग यहां भी बेहद तंगहाल जिंदगी बिता रहे हैं. यहां पर हर व्यक्ति के पास अपने-अपने दर्द की कहानियां हैं.
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इनमें से कोई कहता है कि वहां पर जमींदार अपने खेतों पर काम करा कर पैसे नहीं देते हैं और बंधुआ मजदूर की तरह रखते हैं तो कोई कहता है कि गांव में सुंदर बहू-बेटी को उठाकर ले जाते हैं.
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ऐसे ही पांच बेटियों के पिता तमाल मेघवाल हैं. पाक‍िस्तान में डॉक्टर थे और अच्छी प्रैक्टिस चल रही थी मगर वहां पर लोगों से तंग होकर भारत आए हैं और यहां पर 50 पैसे वाली टॉफी बेच रहे हैं.
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इसी तरह से धारा 370 के खत्म होने के बाद वहां पर फैले हिंदुओं के प्रति नफरत के बाद घोटकी से जबीर मेघवाल का परिवार आया है. पांच बेटियों के पिता जबीर मेघवाल का कहना है कि उनके यहां घोटकी के पास रोहड़ी में रीना मेघवाल को वहां का जमींदार का लड़का घर से उठा ले गया. इन्हें लगता है कि एक बार नागरिकता मिल जाए तो कम से कम बच्चों की जिंदगी संवर जाए.
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यह लोग पाकिस्तान में परेशान होकर भारत चले आए हैं यहां से किसी भी कीमत पर वापस लौटना नहीं चाहते हैं. नागरिकता नहीं होने की वजह से न तो इनके बच्चे पढ़ पाते हैं और न ही नरेगा जैसे योजनाओं में मजदूरी ही मिल पाती है. कोई किराए पर घर भी नहीं देता है.
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इनके बैंक अकाउंट तक नहीं खुल पाते हैं. भारत सरकार का नियम है कि नागरिकता के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था मगर जो लोग अभी आए हैं, उनके पास किसी भी तरह का न तो कोई रोजगार है, न घर है, न यह भारत के नागरिक हैं न पाकिस्तान के नागरिक हैं, लिहाजा इनकी जिंदगी बदहाल है.
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अकेले राजस्थान में फिलहाल 50 हजार हिंदू शरणार्थी भारत की नागरिकता के आस लगाए बैठे हैं. अब जब इनकी नागरिकता से संबंधित बिल लोकसभा में पास हो गया है और राज्यसभा में बहस चल रही है तो  इन्हें एक बार फिर से नई जिंदगी शुरू करने की उम्मीद बंधी है.
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