छात्राओं ने बताया कि 18 फरवरी को हमारा प्रैक्टिकल था. उस दिन असेंबली शुरू थी. तब हम
प्रैक्टिकल की बुक लेने के लिए हमारे रूम में गए थे. उसी समय राष्ट्रगान
शुरू था. सभी लड़किया खड़ी थीं. जब प्रार्थना शुरू हुई तो स्कूल और हॉस्टल एक
ही बिल्डिंग में होने से हम अपनी प्रोजेक्ट बुक लेने दूसरी मंजिल पर जा
रहे थे. तभी हमारे जूते और चप्पल की आवाज से असेंबली डिस्टर्ब हुई.
उसके बाद प्रिंसिपल मैडम ने हमें सजा दी. हर क्लास रूम में 50-50 उठक-बैठक लगवाया. पहले 10, फिर 20 और फिर 30. ऐसा करते-करते मैडम ने कहा कि जब तक रुकने को नहीं बोलेंगे, तब तक उठक बैठक लगाने को बोला.
इस तरह हम लड़कियों ने 150 से भी ज्यादा उठक बैठक लगाए और हमें भला-बुरा भी बोला. लड़कियां रो रही थीं फिर भी प्रिंसिपल को कोई फर्क नहीं पड़ा. उसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि प्रैक्टिकल नहीं होगा, सबको जीरो मार्क मिलेंगे. दूसरे दिन सबको बहुत तकलीफ होने लगी तो वरदान मैडम हमें अस्पताल ले गईं. हम 6 लड़कियां दवाखाने गईं.