कहते हैं कि किस्मत हाथ की लकीरों में होती है पर किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते. इसी बात को सार्थक सिद्ध कर दिखाया है जोधपुर के पिंटू गहलोत ने जिसने 21 साल पहले अपना एक हाथ गंवा दिया लेकिन हार नहीं मानी और पैरा स्विमिंग शुरू की और एक हाथ से ही तैरकर कई मैडल भी जीते. अभी 2 साल पहले अपना दूसरा हाथ भी एक हादसे में गंवा दिया लेकिन स्विमिंग के जज्बे को कम नहीं होने दिया और अब मार्च में बेंगलुरू में शुरू होने वाली पैरा स्विमिंग नेशनल चैंपियनशिप की तैयारी कर रहा है.
पैरा स्विमर पिंटू गहलोत 36 वर्ष के हैं. 1998 में इनके साथ पहला हादसा हुआ जब ये बस में सवार होकर कहीं जा रहे थे और बस का ट्रक से एक्सीडेंट हो गया, जिसमे इनका एक हाथ कट गया. एक हाथ के साथ जीना आसान नहीं होता है. लोग भी कहने लगे कि अब कुछ नहीं कर सकता और तेरा अब एक हाथ से कुछ नहीं होगा. इसके बाद पिंटू ने तय किया कि कुछ करके दिखाना है.
एक हाथ से लगातार तैराकी की प्रैक्टिस करने के बाद पिंटू पारंगत हो गए. इसके बाद बतौर पैरा स्विमर पिंटू ने कई प्रतियोगिता जीती, मैडल व शील्ड अपने नाम किए. 2016 में नेशनल चैंपियनशिप भी जीती. पिंटू, बच्चों को स्विमिंग की कोचिंग भी देते हैं.
लेकिन किस्मत को कभी कुछ और ही मंजूर होता है. पिंटू के साथ सब सही चल रहा था कि 2019 में पूल की सफाई करते समय लोहे का डंडा बिजली के तारों को छू गया तो पिंटू के हाथ में करंट लग गया और उपचार के दौरान पिंटू के करंट लगे हाथ को भी काटना पडा. लेकिन पिंटू ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और कोरोना के अनलॉक के बाद एक बार फिर स्विमिंग पूल का रुख किया.
पिंटू ने अब अपने आधे हाथ से तैरना शुरू किया. 20 से 22 मार्च को बेंगलुरु में आयोजित होने वाली नेशनल चैंपियनशिप के लिए पिंटू ने खुद को तैयार कर लिया है. पिंटू अब तक पैरा स्विमिंग में 17 नेशनल और 4 स्टेट प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं.
2005 में स्टेट पैरा चैंपियनशिप में एक गोल्ड, 2008 तक पैरा एथलेटिक्स में 6 गोल्ड और 2 सिल्वर जीते. 2007 में पैरा नेशनल चैंपियनशिप नौकायन के टीम इवेंट में भी गोल्ड जीता. 2010 से 2015 तक ऑल इंडिया पैरा चैंपियनशिप में चौथा व पांचवा स्थान, 2016 में प्रथम पैरा स्पोर्ट्स में 2 गोल्ड जीत चुके हैं.
राजस्थान सरकार ने 2016 के बाद नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीतने वालों को सीधी सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था की है लेकिन पिंटू ने पैरा शिविर में चैंपियनशिप जीती थी, जिस वजह से इस योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल पाया. अब उनकी योजना है कि मार्च में गोल्ड मैडल लाए जिससे सरकारी नौकरी मिल जाए तो वो अपने परिवार का लालन-पालन कर सकें.