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यह शख्स अब तक 9 बार कर चुका है प्लाज्मा दान, कोरोना से बचाई कई लोगों की जान

कोरोना से बचाई कई लोगों की जान
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दिल्ली कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले शहरों में शामिल रहा है. ऐसे में दिल्ली के ही निवाही तबरेज खान भी कोरोना के शिकार बन गए. लेकिन कोरोना को हराकर वापस आने के बाद इस बीमारी की वजह से इन्हें सामाजिक उपेक्षा का शिकार होना पड़ा. अब वो कई कोरोना संक्रमित के लिए किसी तारणहार से कम नहीं हैं.

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मार्च में कोरोना संक्रमित होने और फिर ठीक होने के बाद से बीते 5 महीने में तबरेज 9 बार अपना प्लाज्मा दान कर चुके हैं जिससे कई लोगों को इस महामारी से उबरने में मदद मिली है.

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जहांगीरपुरी के निवासी, तबरेज़ 18 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे जिसके बाद पूरी तरह ठीक होने पर उन्हें 5 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. उन्होंने कोविड ​​-19 रोगी होने से लेकर प्लाज्मा डोनर बनने तक के अपने सफर को साझा किया.

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उन्होंने कहा, “मार्च में, मैं अपनी बहन से मिलने गया, जो सऊदी अरब से आई थी. उसमें कोरोना के लक्षण थे. अगले दिन, मैंने बुखार, खांसी और सर्दी जैसा लक्षण महसूस किया. अपने परिवार और समाज के सदस्यों की रक्षा के लिए, मैं कोरोना वायरस परीक्षण के लिए बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल गया. उन्होंने मुझे आरएमएल अस्पताल भेजा जहां कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई.

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इसके तुरंत बाद, मैं अपने परिवार के कल्याण के बारे में चिंतित था. “मैं डर गया था कि मैं जीवित रहूंगा या नहीं. मुझे अपने परिवार की चिंता थी उस समय के आसपास वायरस से संबंधित खबरों की वजह से मैं निराशावादी हो गया था.”

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तबरेज खान ने कहा, “मैं एलएनजेपी स्टाफ का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझमें उम्मीद जगाई. उन्होंने मुझे अन्य रोगियों के ठीक होने के बारे में बताया जिससे मुझे आशा जगी कि मैं भी ठीक हो सकता हूं. मैंने अपनी रिकवरी अवधि के दौरान प्रतिरक्षा में सुधार और सकारात्मक सोच के लिए योग करना शुरू कर दिया. मुझे 5 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.

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उन्होंने बताया, “जब मैं कोरोना पॉजिटिव पाया गया तो पूरा समाज मुझे अपराधी की तरह मानने लगा. वे मुझे देखकर ऐसा व्यवहार करते थे जैसे मैं कोई बम हूं जो कभी भी फट सकता था. हर कोई मेरे परिवार से बचने लगा."

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खान ने बताया मेरी पत्नी दो दिनों तक भूखी रही जब मैं और मेरी मां कोरोना वायरस के उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती थे, ”उन्होंने अपने अनुभव का वर्णन करते हुए कहा कि यह एक “दुर्भाग्यपूर्ण” घटना थी जिसे वह कभी नहीं भूल पाएंगे."
 

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फिर भी, इन स्थितियों ने तबरेज को प्लाज्मा दान करने और कई लोगों की जान बचाने से तबरेज खान को कोई नहीं रोक सका. उन्होंने कहा, मैंने नौ बार प्लाज्मा दान किया है और हर बार जब मैं ऐसा करता हूं, तो मुझे एक सकारात्मक एहसास होता है कि मैं एक जीवन बचा रहा हूं और एक परिवार की मदद कर रहा हूं.

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कोरोना से बचाई कई लोगों की जान
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मुझे खुशी है कि डॉक्टरों को लगता है कि मेरे शरीर में अभी भी एंटीबॉडीज हैं. मैं यह करना जारी रखूंगा. तबरेज ने इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी साइंसेज (ILBS) से कॉल आने के बाद दो बार प्लाज्मा दान किया है. 

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