वहीं रिटायर्ड सिपाही दोर्जी नांगियाल ने अपना युद्ध अनुभव साझा करते हुए कहा, 'अब चीन को पक्का हरा देंगे'
उस वक्त दो लोगों पर एक घोड़ा मिलता था. पहले एक जवान घंटे भर तक घोड़े पर पेट्रोलिंग करता था, फिर दूसरा. हम ऊनी कपड़े साथ लेकर चलते थे और एक हफ्ते चलने के बाद गलवान घाटी तक पहुंचते थे. हमने सुना था कि गलवान इलाका तो हमारा है. अभी तो हम चीन को ऐसा जवाब दे सकते है कि वो उंगली नहीं उठा पाएगा.