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तालिबान के जुल्मों की भयावह दास्तान, लड़की के काट लिए थे नाक-कान

Taliban atrocities against women
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Afghanistan crisis: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का कब्जा हो चुका है और इस बात से सबसे ज्यादा वहां रहने वाली महिलाएं खौफजदा हैं. भले ही तालिबान (Taliban) से जुड़े लोग इस बार महिलाओं को उनके अधिकार और उन्हें सुरक्षा देने की बात कर रहे हैं लेकिन अपने बीते शासनकाल में तालिबानियों ने महिलाओं पर इतने अत्याचार किए हैं कि अफगानी महिलाओं (Afghanistan women) के लिए तालिबान (Taliban) पर विश्वास करना आसान नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

Taliban atrocities against women
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इस कट्टरपंथ संगठन का साल 1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान पर नियंत्रण था और तालिबान ने शरिया कानून लगाया हुआ था. महिलाएं ना स्कूल जा सकती थीं, ना जॉब के लिए जा सकती थी. वे ना अकेले बाहर निकल सकती थीं, ना किसी अंजान से सड़क पर बात कर सकती थीं. तालिबान ने अफगानिस्तान की कई महिलाओं के साथ क्रूरता की हदें पार की थीं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/रॉयटर्स)
 

Taliban atrocities against women
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द एटलांटिक की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1999 में शुक्रिया बराकजई नाम की महिला बुखार से पीड़ित थी. उनके पति घर पर नहीं थे और उनका कोई बेटा नहीं था तो तालिबान के डर से उन्होंने अपनी 2 साल की बेटी को गंजा कर उसे लड़कों के कपड़े पहना दिए थे और उसके साथ इलाज के लिए बाहर गई थीं. हालांकि इसके बावजूद तालिबानियों ने उन्हें बीमार होने के बावजूद कोड़ों से बुरी तरह मारा था. इस घटना के बाद उन्होंने एक्टिविस्ट बनने का फैसला किया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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साल 1999 में एक भयावह घटना सामने आई थी जब गाजी स्पोर्ट्स स्टेडियम में दिन-दहाड़े 30 हजार दर्शकों के सामने एक अफगानिस्तानी महिला को तालिबानियों ने मार डाला था. बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक, इस महिला पर अपने पति को मारने का आरोप था. हालांकि महिला को उम्मीद थी कि सात बच्चों की मां होने के चलते तालिबानी उस पर रहम करेंगे.(फुटबॉल स्टेडियम में महिला को मारते तालिबानी, फोटो क्रेडिट: AP)

Taliban atrocities against women
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अफगानिस्तान में 15 साल की कमर गुल के घर में घुसकर तालिबानियों ने उनके मां-बाप को मार डाला था. गुल अफगानिस्तान में मध्य प्रांत में एक छोटे से गांव में रहती थीं. अपने मां-बाप की मौत के बाद गुल जबरदस्त ट्रॉमा से गुजरी थीं हालांकि उन्होंने भी हथियार उठा लिए और दो तालिबानियों को मार गिराया था. गुल ने एएफपी के साथ बातचीत में कहा था- मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है. अब मुझे किसी का डर नहीं है.  (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

Taliban atrocities against women
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रेडियो शरिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1996 में काबुल में रहने वाली 225 महिलाओं को पकड़ कर उन्हें सजा दी गई थी क्योंकि इन महिलाओं ने शरिया कोड के अनुसार पोशाकें नहीं पहनी हुई थीं. इन महिलाओं को इस 'गलती' के लिए पैरों पर और कमर पर काफी कोड़े बरसाए गए थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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बीबी आयशा नाम की एक अफगानी लड़की की शादी को लेकर काफी विवाद हुआ था और इस विवाद और हिंसा से परेशान होकर ये लड़की भाग गई थी. हालांकि एक तालिबान कमांडर ने उसके भागने पर कड़ा ऐतराज जताया था और उसके कान और नाक को बुरी तरह काट दिया गया था ताकि इसके बाद कोई लड़की भागने की हिम्मत ना करे. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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साल 1997 में अफगानिस्तान में एक इंटरनेशनल संस्था केयर इमरजेंसी फीडिंग प्रोग्राम की 5 महिला स्टाफ को दिनदहाड़े जलील किया गया था और उन्हें डेढ़ मीटर लंबे मेटल के कोड़े से मार लगाई थी. ये संस्था अफगानिस्तान में दस हजार विधवा महिलाओं को खाना उपलब्ध कराती थी.  इस घटना के बाद उपजे विवाद के चलते तालिबान ने केयर फाउंडेशन से माफी भी मांगी थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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