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टिकटॉक का वो वायरल चैलेंज जिसे महिलाएं तो कर पाती हैं, पर पुरूष नहीं, जानिए वजह

टिकटॉक सेंटर ऑफ ग्रैविटी चैलेंज
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भारत में टिकटॉक भले ही बैन हो गया हो लेकिन अब भी कई देशों के लोग इस एप पर कई तरह के मजेदार चैलेंज कर रहे हैं. पिछले कुछ समय से लाखों लोगों के बीच एक चैलेंज काफी वायरल भी हो रहा है. इस चैलेंज की खास बात ये है कि इसे सिर्फ महिलाएं ही पूरा कर पाती हैं और इस चैलेंज को करने वाले ज्यादातर पुरूष इसे पूरा करने में नाकाम रहते हैं. इसके चलते ही ये चैलेंज कई लोगों के लिए काफी उत्सुकता भी जगाने में कामयाब रहा है. (फोटो क्रेडिट: keeksnation टिकटॉक)

टिकटॉक सेंटर ऑफ ग्रैविटी चैलेंज
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सेंटर ऑफ ग्रैविटी नाम के इस चैलेंज में आमतौर पर एक महिला और पुरूष मौजूद होते हैं. दोनों को अपने घुटनों पर बैठना होता है, फिर आगे की तरफ झुकना होता है और फिर अपने हाथों को जमीन पर प्लैंक एक्सरसाइज की पोजीशन में रखना होता है और इसके बाद अपने हाथों को पीठ के पीछे ले जाते हुए ऊपर उठना होता है. (फोटो क्रेडिट: tiffgospo टिकटॉक)

टिकटॉक सेंटर ऑफ ग्रैविटी चैलेंज
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इस चैलेंज को लगभग सभी महिलाएं करने में कामयाब रहीं लेकिन ज्यादातर पुरूष जब ऊपर उठने की कोशिश करते हैं तो वे नीचे गिर जाते हैं. इस चैलेंज के सामने आने के बाद कई लोगों का ये भी कहना था कि महिलाओं का बैलेंस काफी अच्छा होता है वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने कहा कि चूंकि महिलाओं की सेंटर ऑफ ग्रैविटी पुरूषों से काफी अलग होती हैं, इसलिए वे इस चैलेंज को करने में कामयाब रहती हैं. (फोटो क्रेडिट: tiffgospo टिकटॉक)

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टिकटॉक सेंटर ऑफ ग्रैविटी चैलेंज
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साइंस की भी इस मामले में यही राय है. एकेडेमिक जर्नल 'थ्योरेटिकल बायोलॉजी एंड मेडिकल मॉडलिंग' की एक रिसर्च में सामने आया था कि महिलाओं की सेंटर ऑफ ग्रेविटी पुरूषों की तुलना में 8 से 15 प्रतिशत लोअर होती है. इसके चलते महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान चलने में भी बॉडी को बैलेंस करने में मदद मिलती है. (फोटो क्रेडिट: leslie.margarita टिकटॉक)

टिकटॉक सेंटर ऑफ ग्रैविटी चैलेंज
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इससे पहले साल 2019 में भी टिकटॉक पर एक चैलेंज काफी वायरल हुआ था जिसमें लोगों को अपने सर को दीवार पर लगाकर दबाव देना होता था और अपने पैरों को एक सामान्य पोजीशन में रखते हुए किसी कुर्सी उठाने की कोशिश करना था. इस चैलेंज को भी ज्यादातर महिलाएं करने में कामयाब रही थीं. इस चैलेंज को लेकर भी कहा जा रहा है कि पुरूषों और महिलाओं की अलग-अलग सेंटर ऑफ ग्रैविटी के चलते ही ऐसा संभव हो पाया था. (फोटो क्रेडिट: leslie.margarita टिकटॉक)

 

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