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साइकिल से 11 देशों की यात्रा पर निकला, लॉकडाउन में फंसा तो...

11 देशों की यात्रा पर साइकिल से निकला टूरिस्ट लॉकडाउन में फंसा तो...
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विशेष साइकिल पर हंगरी से इंडिया आए हुए हंगरी के टूरिस्ट को लॉकडाउन के दौरान बिहार के छपरा में क्वारनटीन किया गया था. 55 दिनों तक हॉस्पिटल में रहने के बाद भी जब उसे छुट्टी नहीं मिली तो वहां से टूरिस्ट भाग निकला लेकिन बिहार पुलिस ने पकड़कर फिर से उसे हॉस्पिटल पहुंचा दिया.
 
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हंगरी से 11 देशों की यात्रा पर अपनी विशेष साइकिल से निकले हंगरियन टूरिस्ट विक्टर ज़िको को बीते 29 मार्च को छपरा पुलिस ने लॉकडाउन 1.0 के दौरान रिविलगंज में पकड़कर सदर अस्पताल कोरोना जांच के लिए भेजा, जहां उसका सैम्पल लेकर जांच करने के बाद सभी रिपोर्ट निगेटिव आई, उसके बाद भी उसे 14 दिनों के लिए सदर अस्पताल छपरा में ही क्वारनटीन कर दिया गया था.
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लॉकडाउन 1.0 के बाद लगातार पूरे देश में लॉकडाउन की मियाद बढ़ते बढ़ते 4.0 में पहुंच चुकी है. विक्टर को आशा थी कि उसे प्रशासन द्वारा कोलकाता के रास्ते दार्जिलिंग जाने की इजाजत मिल जाएगी लेकिन इसे अपनी यात्रा शुरू करने की कोई इजाजत नहीं मिली.
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इसी दौरान बीते 10 अप्रैल की सुबह विक्टर के कमरे से इसका लैपटॉप, स्विस नाइफ, 4000 रुपये, मोबाइल सहित कपड़े गायब हो गए. इस घटना के बाद पुलिस ने 3 दिनों के अंदर सभी चोरी गए सामानों सहित चोर को गिरफ्तार कर लिया. सभी सामान तो बरामद हो गया लेकिन स्विस चाकू की बरामदगी नहीं ही पाई. चोर ने विक्टर के पासपोर्ट को भी जला कर बर्बाद कर दिया था. इसके कपड़ों को और 2000 के दोनों नोट को भी जला दिया था.

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विक्टर का पासपोर्ट उसके द्वारा अप्लाई करने के बाद बन गया लेकिन लॉकडाउन के कारण कुरियर सेवा बन्द रहने के कारण उसे यह नहीं मिल पाया था जो लॉक डाउन 4.0 के बाद मिला जब कई सेवाओं को खोलने की अनुमति मिली.
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55 दिनों से सदर अस्पताल में रहते रहते विक्टर तंग आ गया था. उसने सभी अथॉरिटी से अपने दार्जिलिंग की यात्रा पर जाने की अनुमति मांगी लेकिन सभी जगहों से उसे निराशा ही हाथ लगी.
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हारकर उसने 24 मई की सुबह 3 बजे अपने साइकिल पर सारा सामान लादकर यात्रा पर निकल गया. जब विक्टर के अस्पताल से भागने की सूचना पुलिस को मिली तो आनन फानन में कई जिलों की घेराबंदी के बाद उसे दरभंगा में पुलिस ने पकड़कर वापस छपरा सदर अस्पताल पहुंचा दिया.
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विक्टर से इसी दौरान बिहार के मुख्य विपक्ष राजद के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विक्टर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की. उन्होंने विक्टर को भरोसा दिलाया कि वह उसकी मदद करेंगे.
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विक्टर दार्जिलिंग के लेबांग कार्ट रोड स्थित एलेक्ज़ेंडर सीसोमा डी कोरोस के मकबरे पर जाना चाहते हैं. एलेक्ज़ेंडर सीसोमा तिब्बत भाषा और बौद्ध दर्शन के जानकार थे. वो एशियाटिक सोसायटी से भी जुड़े रहे. उन्होंने पहली तिब्बती-इंग्लिश डिक्शनरी लिखी थी और माना जाता है कि उन्हें 17 भाषाएं आती थीं.

2012 में हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक दार्जिलिंग म्युनिसिपैलिटी ने कोवासजना (रोमानिया) जहां एलेक्ज़ेंडर का जन्म हुआ और दार्जिलिंग (भारत) जहां उनकी मृत्यु हुई, दोनों को 'ट्विन सिटीज' घोषित करने का प्रस्ताव दिया था और एक रोड का नाम एलेक्ज़ेंडर सीसोमा डी कोरोस के नाम पर किया था.
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विक्टर जिको को एडवेंचर और कलात्मक फोटोग्राफी का ऐसा जुनून था जिसने युवक को हंगरी से भारत के दार्जिलिंग तक का सफर तय करने को मजबूर कर दिया. पर्वतारोही का शौक़ीन व बुडापोस्ट युनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इकोनॉमिक्स से इंजीनियरिंग का छात्र विक्टर जिको करीब 63 हजार किमी की दूरी तय कर भारत पहुंचा.

विक्टर जिको एडवेंचर व फोटोग्राफी के साथ साथ विश्व की कई पर्वत श्रृंखलाओं पर शोध करता है. उनका मानना है कि वह हर कठिनाई भरे रास्ते की यात्रा उनकी फोटोग्राफी और निरंतर यात्रा करना जीवन का हिस्सा बन गया है. ये उन सभी ऊंची श्रृंखला वाली खूबसूरत पहाड़ों और पर्वतों पर चहलकदमी करना चाहते है इसके लिए सदैव प्रयासरत भी रहते हैं.

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