निकाह हलाला की विवादित प्रक्रिया का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में मौलवी मुस्लिम महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनके साथ एक रात गुजारते हैं, जो इस्लामी कानून के तहत अपनी शादियों को बचाना चाहती हैं.
इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम ने इसका खुलासा किया है.ये लोग निकाह हलाला की विवादित प्रक्रिया का हिस्सा बनने के एवज में 20,000 से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक की रकम भी लेते हैं.
मौजदा मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधानों के मुताबिक अगर किसी मुस्लिम महिला का तलाक हो चुका है और वह उसी पति से दोबारा निकाह करना चाहती है, तो उसे पहले किसी और शख्स से शादी कर एक रात गुजारनी होती है. इसे निकाह हलाला कहते हैं.
इसके बाद उस दूसरे शख्स से तलाक लेना होता है. ऐसा होने के बाद ही वो अपने पहले पति के साथ दोबारा शादी करके रह सकती है. हालांकि, इस्लामिक स्कॉलर्स के मुताबिक हलाला के इस नियम को मौलवियों ने अपने मर्जी से तोड़ा-मरोड़ा है.
एक्सपर्ट्स के मुतिबक हालाला इस्लाम में हराम है. अगर कोई पति अपनी पत्नी को पूरी तलाक (तलाक-ए-मुगल्लज़ा) यानी तीन तलाक दे देता है तो अब पति अपनी उस बीवी से दोबारा शादी नहीं कर सकता.
यहां भी तीन तलाक तीन महीने में दिए जाए या एक ही बार में तीन तलाक दे दिए गए हों. इसके बाद अब ये पुरुष और महिला किसी दूसरे से शादी करने को आज़ाद हैं.
नियम में आगे कहा गया है कि महिला ने किसी दूसरे शख्स से शादी की और फिर उससे तलाक हो गया या पति मर गया तो अब महिला फिर से किसी दूसरे शख्स से शादी करने को आज़ाद है. और अब औरत अपने पहले पति से भी शादी कर सकती है.
इसमें शर्त ये भी रखी कि ये महज़ इत्तेफाक़ होना चाहिए. यानी कोई महिला जानबूझकर दूसरे शख्स से शादी करे और फिर तलाक लेकर पहले पति से शादी करना चाहे तो ऐसा नहीं हो सकता. इसे हराम माना जाता है.
यही से शुरू होता है मौलवियों का खेल. पति ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और फिर उस औरत से दोबारा शादी करना चाहता है तो मौलाना हलाला की सलाह देते हैं.
कई मुस्लिम देशों ने इस अमानवीय प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन भारत, पाकिस्तान, ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में ये प्रथा अभी भी प्रचलित है.फिलहाल तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की देश प्रतीक्षा कर रहा है.