आज देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 148वीं जयंती है. उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको बता रहे हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें.
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक हिंदू-गुजराती मोध बनिया वैश्य परिवार में हुआ था. उनके माता पिता ने उनका नाम मोहनदास करमचंद गांधी रखा था. उनके जन्म के 5 साल बाद उनका परिवार पोरबंदर से राजकोट आ गया. जब गांधी 9 साल के हुए तब राजकोट में उन्हें उनके घर के नजदीकी स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया. जब वो 11 साल के हुए तब उन्होंने राजकोट के हाई स्कूल में जाना शुरू किया.
महात्मा गांधी पढ़ाई में औसत थे. वो काफी शर्मीले और कम बोलने वाले बच्चों में थे. उन्हें खेलों में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी, उनकी साथी केवल उनकी किताबें थीं. महात्मा गांधी उस समय केवल 13 साल के थे जब उनकी शादी कस्तूरबा माखनजी कपाडिया (कस्तूरबा गांधी) से हो गई. कस्तूरबा गांधी उम्र में महात्मा गांधी से 1 साल बड़ी थीं. साल 1885 में महात्मा गांधी के पिता करमचंद की मृत्यु हो गई.
जब महात्मा गांधी 16 साल और उनकी पत्नी 17 साल की थीं उस समय उनके पहले बच्चे का जन्म हुआ, लेकिन जन्म के कुछ समय बाद ही उसकी (बच्चे की) मौत हो गई. इस बात से गांधी बहुत दुखी थे. इसके बाद दोनों के 4 और बेटे हुए. उनके सबसे बड़े बेटे का नाम था हीरालाल जिनका जन्म 1888 को हुआ था. उनके दूसरे बेटे का नाम मनीलाल था जिनका जन्म 1892 को हुआ, तीसरे बेटे रामदास का जन्म 1897 को हुआ जबकि चौथे बेटे देवदास का जन्म 1900 में हुआ.
नवंबर 1887 को 18 साल की उम्र में महात्मा गांधी ने इलाहाबाद से अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की. जनवरी 1888 में उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया. बाद में हायर एजुकेशन के लिए उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन गरीब परिवार से आने के चलते और फीस अफोर्ड नहीं कर पाने के चलते उन्हें बीच में ही कॉलेज छोड़ना पड़ा. जब गांधी ने कॉलेज छोड़ा तब उनके पारिवारिक मित्र मावजी दवे जोशीजी ने उन्हें और उनके परिवार को सलाह दी कि उन्हें लंदन जाकर लॉ (वकालत) की पढ़ाई करनी चाहिए. लेकिन क्योंकि इसी साल उनके बेटे हीरालाल का जन्म हुआ था इसलिए उनकी मां नहीं चाहती थीं कि वो अपने परिवार को छोड़कर दूर जाएं.
महात्मा गांधी चाहते थे कि वो पढ़ाई करने जाएं इसलिए अपनी पत्नी और मां को राजी करने के लिए उन्होंने कहा कि वो विदेश जाकर मीट, शराब और औरतों से दूर रहेंगे. गांधी के भाई लक्ष्मीदास, जो कि खुद भी पेशे से वकील थे उन्होंने गांधी का साथ दिया जिसके बाद उनकी मां पुतलीबाई उन्हें भेजने के लिए राजी हो गईं. जब वो लंदन में थे उस दौरान उनकी मां का देहांत हो गया लेकिन उनके परिवार ने इस बात की जानकारी महात्मा गांधी को नहीं दी.
महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है कि उन्हें सरला देवी चौधरी नाम की महिला से प्यार हो गया था जिसके चलते उनकी शादी टूटने के कगार तक पहुंच गई थी. उस समय सरला की उम्र 47 थी और गांधी जी 50 साल के थे. सरला देवी रवींद्रनाथ टैगोर की बड़ी बहन की बेटी थीं. अक्टूबर 1919 जब वो सरला देवी चौधरी के लाहौर स्थित घर में रुके थे उस समय उनसे प्यार करने लगे थे.
महात्मा गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलाई, साथ ही संदेश दिया कि अहिंसा सर्वोपरि है. महात्मा गांधी को सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो रंगून से 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था.
महात्मा गांधी की जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से ऐसे भी हैं जो आज भी प्रेरित करते हैं. उनके बारे में बताया जाता है कि एक बार उनका एक जूता चलती ट्रेन से नीचे गिर गया था जिसके बाद उन्होंने अपना दूसरा जूता भी फौरन ट्रेन से नीचे फेंक दिया. जब वहां मौजूद लोगों ने उनसे इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि एक जूता मेरे और उसके उसके किसी काम नहीं आएगा. अब जिस शख्स को वो जूता मिलेगा वो दोनों को पहन सकेगा.
यह बात भले ही आपको अचरज में डाले लेकिन सच है कि शांति का नोबेल पुरस्कार
गांधी जी को अब तक नहीं मिला है. हालांकि उन्हें कुल 5 बार अभी तक इसके लिए
नॉमिनेट किया गया है.
महात्मा गांधी की शवयात्रा 8 किलोमीटर लंबी थी. कहा जाता है कि उनकी शव यात्रा में करीब 10 लाख
लोग चल रहे थे और लगभग 15 लाख लोग रास्ते में खड़े थे.
कहा जाता है कि ऐपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स महात्मा गांधी के फैन थे. इतना ही नहीं कहा यह भी जाता है कि वो गोल फ्रेम वाला चश्मा भी गांधी जी को सम्मान देने के लिए ही पहनते थे.