फ्रांस के रीम्स शहर में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बनाई गई ऐसी सुरंग की खोज हुई है जिसमें 270 से ज्यादा जर्मन सैनिकों के शव एक सदी से ज्यादा वक्त तक दफन रहे हैं. इसे 'मौत की सुरंग' भी कहा जा रहा है. प्रथम विश्व युद्ध से जुड़ी ये अब तक की सबसे बड़ी खोज मानी जा रही है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अव्यवस्था की वजह से इन सैनिकों को भुला दिया गया था और इनका सही लोकेशन अब तक सिर्फ एक रहस्य ही बना हुआ था. जिस सुरंग की खोज की गई है वहां मानव हड्डी भी पाए गए हैं. (सभी तस्वीरें- Getty)
इस सुरंग को खोज निकालने का श्रेय स्थानीय इतिहासकार और पिता-पुत्र की जोड़ी को दिया जा रहा है. उनकी खोज की बदौलत चैमन डा डेम्स युद्ध भूमि की विंटरबर्ग सुरंग के प्रवेश द्वारा का पता चला है. उस सुंरग में मिले सैनिक शवों को जर्मन कब्रिस्तान में लाकर दफनाया जाएगा या फिर वहां पुरातात्विक खुदाई कर जंग लड़ने वाले और भी लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाएगी, इस पर फ्रांस और जर्मनी की सरकार विचार कर रही है.
बता दें कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान साल 1917 के वसंत महीने में फ्रांस ने एन नदी के उत्तरी हिस्से से कुछ मील दूर पश्चिम-पूर्वी लाइन की पहाड़ियों पर कब्जे के लिए हमला शुरू किया था. उस दौरान जर्मन सैनिकों ने चैमन डा डेम्स के नजदीक की चोटियों पर दो साल से अपना कब्जा बनाए रखा था और उन्होंने वहीं पहाड़ों के नीचे अपना ठिकाना बना रखा था. रिपोर्ट के मुताबिक खोनो गांव के निकट सुरंग की लंबाई पहाड़ी के उत्तरी ओर से 300 मीटर से ज्यादा थी जिसे फ्रांस के सैनिक नहीं देख सकते थे.
5 मई 1917 को फ्रांस ने सुंरग के दोनों छोर को निशाना बनाते हुए बमबारी शुरू कर दी. एक नेवल गन से दागा गया शेल सुरंग के प्रवेश द्वारा पर गिरा जिससे वहां आसपास रखे गोला-बारूद में भी धमाका होने लगा. वहां धुएं का ऐसा गुबार बना कि दूसरे शेल ने सुरंग से निकलने का रास्ता ही बंद कर दिया.
अंदर जर्मनी के 111वीं रिजर्व रेजिमेंट की 10वीं और 11वीं कंपनी के जवान फंसे हुए थे और अगले कुछ दिनों में वहां ऑक्सीजन की कमी से दम घुटने से उनकी मौत हो गई. वहीं कुछ लोगों ने तकलीफ से बचने के लिए अपनी ही जान ले ली थी. ज्यादा सहनशक्ति की वजह से तीन लोग वहां कई दिनों तक जिंदा रहे जिन्हें बचाव दल ने बाहर निकाला था. बाकी लोगों का कोई पता नहीं चला था. फ्रांस ने कई दिनों की लड़ाई के बाद उन पहाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया. सुरंग के आसपास सिर्फ मौत का मंजर दिख रहा था. हालांकि बाद में जर्मनी ने फिर उस जगह पर कब्जा कर लिया था लेकिन उनके पास लापते हो चुके और वजूद मिट चुके उस सुरंग को ढूंढने का टाइम नहीं था.