अमेरिका के सैनिकों ने गलती से ऐसी जानकारी शेयर कर दी है, जिसमें 'ब्रह्मास्त्र' कहे जाने वाले परमाणु बम के ठिकानों की महत्वपूर्ण सूचनाएं हैं. dailymail के मुताबिक, ये गलती हुई ऑनलाइन लर्निंग ऐप्स की वजह से, जिसे अमेरिकी सैनिकों द्वारा गुप्त स्थानों और तमाम जानकारियों को याद रखने के लिए उपयोग किया जा रहा था. (फोटो-फेसबुक)
परमाणु हथियारों की मेजबानी करने वाले यूरोपीय ठिकानों पर तैनात सैनिकों ने अनजाने में कई संवेदनशील विवरणों को उन ऐप्स के माध्यम से उजागर कर दिया, जिन शीर्ष गुप्त जानकारी को ऑनलाइन खोजा जा सकता है. ये जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित हो गई हैं, जिसमें परमाणु हथियारों के वर्गीकृत स्थान और गुप्त कोड इस्तेमाल किए गए हैं, जो सेना के सदस्यों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं. (फोटो-फेसबुक)
शेयर हुईं तस्वीर में अध्ययन सहायक सामग्री अत्यंत विस्तृत है. इसमें पूरे यूरोप में सुरक्षा और परमाणु उपकरणों के विशिष्ट स्थानों के बारे में जानकारी शामिल है. उनका उपयोग सैनिकों को यह याद रखने में मदद करने के लिए किया जाता है कि एक बेस के भीतर कौन से तहखाने में परमाणु हथियार हैं और कौन से खाली हैं. (फोटो-फेसबुक)
प्रत्येक फ्लैशकार्ड सेट को और अधिक विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए Google किया जा सकता है. हालांकि यूरोप में अमेरिकी परमाणु हथियारों की उपस्थिति को अतीत में विभिन्न लीक दस्तावेजों, तस्वीरों और सेवानिवृत्त अधिकारियों के बयानों के माध्यम से विस्तृत किया गया है, उनके विशिष्ट स्थान अभी भी आधिकारिक तौर पर गुप्त हैं. सरकारें न तो उनकी मौजूदगी की पुष्टि करती है और ना ही इनकार करती है. (फोटो-फेसबुक)
न्यूज वेबसाइट बेलिंगकैट ने यूरोप के सभी छह ठिकानों पर सैनिकों द्वारा पोस्ट किए गए फ्लैशकार्ड खोजने में सक्षम था, जो परमाणु हथियारों को संग्रहीत करने की सूचना है. कैमरों की स्थिति, जिसमें तहखानों में हथियार होते हैं, कौन से तिजोरी खाली रहती है और उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के प्रकार सार्वजनिक रूप से उजागर किए गए कुछ वर्गीकृत विवरण हैं. (फोटो-फेसबुक)
Google पर खोज करके और पूरे यूरोप में परमाणु हथियार रखने वाले विशिष्ट ठिकानों के नाम खोजकर, जानकारी स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है. 'स्टडी!' शीर्षक वाले 70 फ्लैशकार्ड का एक सेट चेग पर हथियारों से युक्त सटीक आश्रयों पर ध्यान दिया गया है. जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज टू बेलिंगकैट में ईस्ट एशिया नॉन प्रोलिफरेशन प्रोग्राम के निदेशक जेफरी लुईस ने कहा 'यूरोप में अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती के बारे में गोपनीयता आतंकवादियों से हथियारों की रक्षा के लिए मौजूद नहीं है, बल्कि केवल राजनेताओं और सैन्य नेताओं को इस बारे में कठिन सवालों के जवाब देने से बचाने के लिए है कि क्या नाटो की परमाणु-साझाकरण व्यवस्था आज भी समझ में आती है. यह एक और चेतावनी है कि ये हथियार सुरक्षित नहीं हैं.' (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
कुछ फ़्लैशकार्ड ऑनलाइन और सार्वजनिक रूप से आठ वर्षों तक दिखाई देते हैं, कुछ हाल ही में अप्रैल 2021 तक. तलाश के दौरान सामने आई एक तस्वीर में अमेरिकी सैनिकों को नीदरलैंड के वोल्केल एयर बेस पर ली गई तस्वीर के लिए पोज देते हुए दिखाया गया है. तस्वीर को 2013 में फेसबुक पर अपलोड किया गया था, लेकिन फोटो में एक परमाणु हथियार दिखाई दे रहा है. फ्लैशकार्ड से डेटा के साथ तस्वीर को क्रॉस-रेफरेंस करके, साइट कुछ परमाणु वाल्टों के अस्तित्व को सत्यापित करने में सक्षम थी. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
इस मामले में डच रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जिस परमाणु उपकरण का फोटो है, वो निष्क्रिय था, उन्होंने कहा कि यह तस्वीर 'नहीं ली जानी चाहिए थी, प्रकाशित की तो बात ही छोड़ो.' फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के हैंस क्रिस्टेंसन ने कहा कि 'इतने सारे उंगलियों के निशान हैं जो यह बता देते हैं कि परमाणु हथियार कहां हैं. इसे गुप्त रखने की कोशिश करने के लिए कोई सैन्य या सुरक्षा उद्देश्य नहीं है. सुरक्षा प्रभावी सुरक्षा से होती है, गोपनीयता से नहीं. विशिष्ट परिचालन और सुरक्षा विवरण गुप्त रखने की आवश्यकता है, लेकिन परमाणु हथियारों की उपस्थिति नहीं. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)
उन्होंने कहा कि 'गोपनीयता का वास्तविक उद्देश्य उन देशों में विवादास्पद सार्वजनिक बहस से बचना है जहां परमाणु हथियार लोकप्रिय नहीं हैं.' वहीं अमेरिकी वायु सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे जानते थे कि सैनिकों द्वारा फ्लैशकार्ड ऐप का इस्तेमाल किया जाता है और अब वे प्लेटफार्मों पर प्रकाशित जानकारी की उपयुक्तता की जांच कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटो/Getty images)