उत्तराखंड में आई हिम त्रासदी के बाद लोगों को बचाने की जद्दोजहद दिन-रात जारी है. चमोली में रविवार की सुबह ग्लेशियर टूटने के बाद आए सैलाब ने अब तक 14 लोगों की जान ले ली है जबकि अभी भी कई लोग मलबे और टनल में फंसे हुए हैं जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ और वायुसेना की टीम दिन-रात काम कर रही है.
रविवार को टनल से आईटीबीपी के जवानों ने 16 लोगों को सुरक्षित निकाला जिसके बाद दूसरे सुरंग में भी 30 लोगों के फंसे होने की सूचना मिली. इस पर देर रात से ही एनडीआरएफ के जवान टनल से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश में जुटे हुए हैं लेकिन दलदल वाली जमीन होने की वजह से रेस्क्यू में भारी दिक्कत आ रही हैं. पानी की वजह से दलदल जैसी स्थिति है जिस कारण वहां भारी मशीनों का इस्तेमाल भी नहीं हो पा रहा है.
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक मलबे में समाई सुरंग की अभी तक 150 मीटर ही खुदाई हो पाई है. जलस्तर बढ़ने के कारण बचाव कार्य को रोक दिया गया था. पुलिस के मुताबिक लापता लोगों में अधिकांश लोग दो प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.
हमारे रिपोर्टर दिलीप तपोवन के ग्राउंड जीरो पर हैं और उनके मुताबिक रेस्क्यू में सबसे बड़ी चुनौती 30-35 फीट कीचड़ है. अभी पानी इसके ऊपर से बह रहा है और बहुत से लोग कीचड़ में फंस गए हैं. आईटीबीपी और एनडीएरएफ की टीम इन्हीं चुनौतियों के बीच भी लोगों को बाहर निकालने की कोशिश में जुटी हुई है.
रविवार को आई भीषण आपदा के बाद भारतीय वायु सेना ने प्रभावित पूरे इलाके का एरियल सर्वे किया है. इसके आधार पर शुरुआती रिपोर्ट में बताया गया है कि धौली गंगा और ऋषि गंगा के संगम पर तपोवन हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. इस प्रोजेक्ट को ऋषि गंगा परियोजना भी कहा जाता है.
तपोवन के पास मलारी घाटी के प्रवेश द्वार पर दो पुलों को भी ग्लेशियर टूटने से भारी नुकसान हुआ है. हालांकि जोशीमठ से तपोवन के बीच मुख्य सड़क सुरक्षित है. जबक घाटी में नदी के किनारे जो निर्माण कार्य चल रहा था वो और वहां मौजूद झोपड़ियां पूरी तरह से तबाह हो गई हैं.
वायु सेना के हवाई सर्वे में साफ तौर पर दिख रहा है कि नंदा देवी ग्लेशियर के प्रवेश द्वार से लेकर पिपलकोटी और चमोली के साथ-साथ धौलीगंगा और अलकनंदा तक भारी नुकसान हुआ है. इस बीच रेस्क्यू के काम में और तेजी लाने के लिए 56 मरीन कमांडो ( MARCOS) को बचाव कार्य में तैनात करने के लिए तैयार रखा गया है. एक अधिकारी ने कहा, दिल्ली में 16 और मुंबई में 40 जवान पूरी तरह तैयार हैं जिन्हें कभी भी बचाव कार्य में लगाया जा सकता है. घायलों को मलबों से निकालकर तुरंत इलाज देने के लिए फील्ड अस्पताल की स्थापना की गई है.
सेना के 400 सैनिकों को जोशीमठ और औली में हर जगह 2 कॉलम में तैनात किया गया है और अन्य 200 स्टैंडबाय पर है. सेना की इंजीनियरिंग टास्क फोर्स और मेडिकल टीमें भी राहत और बचाव कार्य में लगी हुई है. बेहतर कम्यूनिकेशन के लिए जोशीमठ में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है.
फंसे हुए लोगों को जल्द से जल्द सुरंग से बाहर निकालने के लिए सेना ने दो चीता हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं, एनडीआरएफ के 60 जवानों को वायुसेना ने C130 एयरक्राफ्ट से जॉलीग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून पहुंचाया है.