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मुर्गों की लड़ाई में जीतने वाले मुर्गे के मालिक की क्यों गई जान?

मुर्गों की लड़ाई में जीतने वाले मुर्गे के मालिक की क्यों गई जान?
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पश्चिम बंगाल से एक शख्स की मौत का ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे. बंगाल के पुरुलिया में लड़ाई तो दो मुर्गों के बीच हो रही थी, लेकिन इस चक्कर में जान जीतने वाले मुर्गे के मालिक की चली गई. मृतक का नाम असीम महतो बताया जा रहा है, जिसकी उम्र 35 साल थी.

मुर्गों की लड़ाई में जीतने वाले मुर्गे के मालिक की क्यों गई जान?
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दरअसल ये मामला पश्चिम बंगाल में पुरुलिया जिले के रुद्रा गांव का है. स्थानीय सूत्रों के मुताबिक हर साल पुरुलिया जिले के पाल गांव में मशहूर मुर्गा लड़ाई का आयोजन किया जाता है, जहां पुलिया जिला के साथ-साथ पड़ोसी राज्य झारखंड सहित आसपास के जिले से भी लोग मुर्गा लड़ाई करवाने और देखने के लिए आते हैं.

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गुरुवार को भी इसी पाल गांव के मुर्गा लड़ाई मैदान पर हजारों की तादाद में लोग मुर्गा लड़ाई देखने आए थे. रुद्रा गांव के रहने वाले असीम भी अपना मुर्गा लेकर उसे इल लड़ाई में शामिल करने आए थे. स्थानीय लोगों ने बताया कि मुर्गा लड़ाई के दौरान असीम का मुर्गा जीत गया था.

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वह अपने जीते हुए मुर्गे को हाथ में पकड़ कर मैदान में खड़ा था. लड़ाई खत्म होने के बाद मुर्गों की लड़ाई के खेल में उनके पैरों में जो छुरा बांधा जाता है उससे असीम घायल हो गया.
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घायल होने के बाद उसे इलाज के लिए हुंडा प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां उसकी हालत नाजुक होने के बाद उसे पुरुलिया सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. असीम के परिजनों का दावा है कि मुर्गे के पैर में बंधे छुरे में एक तरह का जहर लगा हुआ था, जिसके संपर्क में आने से असीम के शरीर में जहर फैल गया और उसकी मौत हो गई.
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शुक्रवार को शव का पोस्टमार्टम पुरुलिया सदर अस्पताल में किया गया. असीम की मौत के बाद मुर्गा लड़ाई की इस अवैध खेल को लेकर पुलिस-प्रशासन के खिलाफ सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि सिर्फ मुर्गा लड़ाई ही नहीं आसपास में इस लड़ाई को लेकर जुआ भी खेला जाता है. मुर्गों की लड़ाई के दौरान दर्शक मुर्गे के अलग-अलग रंगों पर हजारों रुपये दाव पर लगाते हैं.
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