न्यूजीलैंड में आज यानी 25 नवंबर को दोपहर में 100 व्हेल और डॉलफिंस मृत मिलीं. ये समुद्री जीव न्यूजीलैंड के पूर्वी तटे 800 किलोमीटर दूर चाथम द्वीप के तट पर दिखाई पड़ी. ऐसा लगता है कि इनमें से ज्यादातर मछलियां रविवार को तट पर आकर फंस गईं थीं. चाथम द्वीप से जानकारी मिलने में देरी हुई और उन्हें बचाने की कवायद शुरू करने से पहले इनकी मौत हो गई. (फोटोः रॉयटर्स)
न्यूजीलैंड के कंजरवेशन विभाग ने बताया कि कुल 97 पायल व्हेल (Pilot Whales) और बॉटलनोज डॉलफिंस (Bottlenose Dolphins) मृत पाई गई हैं. कंजरवेशन विभाग की रेंजर जेमा वेल्श ने बताया कि चाथम द्वीप की दूर है. साथ ही यहां पर बिजली का आना-जाना लगा रहता है. इसिलए सही समय पर सूचना नहीं मिली. रेंजर्स और बचावकर्मी कई घंटे बाद मौके पर वैतांगी वेस्ट बीच पहुंचे, जहां मछलियां मरी पड़ी थीं. (फोटोः रॉयटर्स)
मरी हुई मछलियों के अलावा 26 मछलियां जीवित हैं, उन्हें बचाकर समुद्र में वापस भेजने का प्रयास किया जा रहा है लेकिव वो बहुत कमजोर हो चुकी हैं. कंजरवेशन विभाग के अधिकारियों का माना है कि समुद्र की खराब परिस्थितियों और ग्रेट व्हाइट शार्क की डर की वजह से इन मछलियों ने खुद को तट पर लाकर खुदकुशी कर ली. आमतौर पर ये मछलियां दिशाभ्रम में तटों पर फंसती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
चाथम द्वीप पर सिर्फ 600 लोग रहते हैं. ये जगह मछलियों के तट पर फंसकर मरने के लिए जानी जाती है. न्यूजीलैंड के इस द्वीप पर मछलियों के फंसकर मरने की सबसे बड़ी घटना साल 1918 में हुई थी. आइए जानते हैं कि आखिर मछलियां तटों पर फंसती क्यों हैं?
व्हेल, डॉलफिंस सोनार किरणें छोड़ती है. जब ये सोनार किसी वस्तु या जीव से टकरा कर वापस आती हैं तो वो उससे उसकी दूरी और आकार समझ लेती है. इसके हिसाब से वो अपना रास्ता और गति तय करती हैं. लेकिन कई बार सोनार के समझ में न आने, किसी बड़े जीव का डर, मैग्नेटिक डिस्टर्बेंस या कम पानी होने की अवस्था में ये तटों पर फंस जाती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
आमतौर पर एक या दो व्हेल या डॉलफिंस तट पर आकर फंसती है. बाकी उनकी आवाज या सोनार सुनकर उन्हें बचाने के लिए आती हैं. लेकिन ज्यादातर मामलों में भी वो भी तटों पर फंस जाती हैं. आजकल क्लाइमेट चेंज, धरती की चुंबकीय क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलाव, भूंकपीय गतिविधयां आदि भी इन मछलियों को कन्फ्यूज करती हैं. जिसकी वजह से ये तटों पर आ जाती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)