scorecardresearch
 
Advertisement
ट्रेंडिंग

2003 में होता ड्रैगन कैप्सूल तो बचाई जा सकती थीं कल्पना चावला!

2003 में होता ड्रैगन कैप्सूल तो बचाई जा सकती थीं कल्पना चावला और उनके साथी!
  • 1/7
अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटते समय किसी भी अंतरिक्ष यान (Space shuttle or Drgaon Capsule) को पृथ्वी से करीब 100 किलोमीटर ऊपर सबसे ज्यादा मुश्किल होती है. क्योंकि यहां से पृथ्वी की तरफ आने में घर्षण (Friction) की वजह से तापमान करीब 1650 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है. इस तापमान को बर्दाश्त करने के लिए अंतरिक्षयानों में विशेष प्रकार के हीडशील्ड मैटेरियल (Heat Shield) लगाए जाते हैं. अगर, आज के जमाने का मैटेरियल 2005 के अंतरिक्षयान कोलंबिया (Columbia Space Shuttle) में लगा होता तो भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला (Kalpana Chawla) और उनकी टीम के बाकी सद्स्य जिंदा होते. आइए जानते हैं कि अगर स्पेस एक्स ड्रैगन कैप्सूल (Spacex Drgaon Capsule) उस समय होता तो क्या होता? (फोटोः NASA)
2003 में होता ड्रैगन कैप्सूल तो बचाई जा सकती थीं कल्पना चावला और उनके साथी!
  • 2/7
आपको बता दें कि कोलंबिया स्पेस शटल में सभी अंतरिक्षयानों की तरह विशेष प्रकार का थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (Thermal Protection System - TPS) लगा था. यह रीनफोर्स्ड कार्बन-कार्बन (Reinforced Carbon-Carbon - RCC), हाई-टेंपरेचर रीयूजेबल सरफेस इंसूलेशन (HRSI), फाइब्रस रीफैक्ट्री कंपोजिट इंसूलेशन (FRCI), फ्लेक्सिबल इंसूलेशन ब्लैंकेट्स (FIB), लो-टेंपरेचर रीयूजेबल इंसूलेशन (LRSI) टाइल्स, टफेंड यूनीपीस फाइब्रस इंसूलेशन (TUFI) टाइल्स और फेल्ट रीयूजेबल सरफेस इंसूलेशन (FRSI) से बना होता है. (फोटोः NASA)
2003 में होता ड्रैगन कैप्सूल तो बचाई जा सकती थीं कल्पना चावला और उनके साथी!
  • 3/7
1 फरवरी 2003 को कोलंबिया हादसे के समय थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (TPS) के फेल होने से हुआ था. जांच में पता चला है कि लॉन्च के समय ही कोलंबिया स्पेस शटल के बाएं विंग के कोने में RCC में एक कचरा टकराने से दरार आ गई थी. जाते समय तो सब ठीक था, लेकिन अंतरिक्ष से लौटते समय इसी दरार के रास्ते 1650 डिग्री सेल्सियस का तापमान यान के अंदर जाने लगा. इससे यान के अंदर की सारे प्रोटेक्शन सिस्टम जल गए. पृथ्वी से थोड़ा ऊपर ही विस्फोट हुआ और कोलंबिया स्पेस शटल के सारे एस्ट्रोनॉट्स मारे गए. (फोटोः NASA)
Advertisement
2003 में होता ड्रैगन कैप्सूल तो बचाई जा सकती थीं कल्पना चावला और उनके साथी!
  • 4/7
इस हादसे के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) पूरी तरह से हिल गया. फिर नासा ने अपने नए यान के लिए थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम में पीका (Phenolic-impregnated carbon ablator- PICA) का उपयोग किया. इस पर 1990 के दशक से ही रिसर्च चल रहा था. नासा ने इसका सफल उपयोग अपने स्टारडस्ट यान में किया जब 2006 में वह अंतरिक्ष से पृथ्वी की तरफ लौट रहा था.  (फोटोः NASA)
2003 में होता ड्रैगन कैप्सूल तो बचाई जा सकती थीं कल्पना चावला और उनके साथी!
  • 5/7
इसके बाद एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने अपने ड्रैगन स्पेस कैप्सूल के लिए PICA-X बनाया. जो उनके ड्रैगन में लगाए गए थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम में लगा हुआ है. PICA-X नासा ने PICA से 10 गुना ज्यादा सस्ता है और उससे ज्यादा सुरक्षित भी है. यह 45061 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पृथ्वी की तरफ आते हुए यान को सुरक्षित रखेगा. (फोटोः Spacex)

2003 में होता ड्रैगन कैप्सूल तो बचाई जा सकती थीं कल्पना चावला और उनके साथी!
  • 6/7
पृथ्वी से 100 किलोमीटर ऊपर जहां से यान उस क्षेत्र में प्रवेश करते हैं जहां हीटशील्ड की जरूरत पड़ती है. उसे कारमैन लाइन कहते हैं. इस क्षेत्र में आने के बाद यान की गति और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से यान की स्पीड और तेज हो जाती है. यह 45061 किलोमीटर प्रतिघंटा या उससे अधिक तक जा सकती है. ऐसे में यान पर होने वाले बाहरी घर्षण से आग लग जाती है. PICA-X की खास बात यह है कि यह इस गति और घर्षण में यान को सुरक्षित रखता है. (फोटोः Spacex)
2003 में होता ड्रैगन कैप्सूल तो बचाई जा सकती थीं कल्पना चावला और उनके साथी!
  • 7/7
स्पेसएक्स का दावा है कि PICA-X से बना थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम शॉक-प्रूफ भी है. अगर रास्ते में इससे कोई छोटी-मोटी वस्तु टकराती भी है तो इसके थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम को चीर नहीं पाएगी. हालांकि अंतरिक्ष में या वहां से लौटते समय हादसों पर नियंत्रण नहीं होता. लेकिन यह कहा जा सकता है कि स्पेस एक्स का ड्रैगन कैप्सूल नासा के कोलंबिया स्पेस शटल से कई गुना ज्यादा सुरक्षित है. (फोटोः Spacex)
Advertisement
Advertisement