साल 1933 से 1945 के बीच जर्मनी के तानाशाह हिटलर की नाजी जर्मन पार्टी ने 44000 कैम्प्स का निर्माण किया था. वे इन कैम्प का इस्तेमाल अलग-अलग चीजों के लिए करते थे. यहां उन लोगों को डिटेन किया जाता था जिन्हें जर्मनी का दुश्मन समझा जाता था. इसके अलावा यहां बंधुआ मजदूरी कराने के लिए भी लोगों को लाया जाता है. हालांकि इन कैंप का प्रमुख इस्तेमाल एक साथ हजारों लोगों को मौत के घाट उतारने के लिए किया जाता था.
साल 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की नाजी सेना द्वारा सबसे खतरनाक नरसंहार किया गया था. 3 और 4 नवंबर 1943 को हुए ऑपरेशन हारवेस्ट फेस्टिवल में माज्देनेक, पोन्यातोवा और त्राव्निकी कैंपों में मौजूद लगभग 40 से 45 हजार यहूदियों को हिटलर की नाजी सेना ने मार गिराया था.
दरअसल विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों की बस्तियों में उभार को देखते हुए नाजी पार्टी के प्रमुख कमांडर हेनरिक हिमलर ने जर्मनी के कब्जे वाले पोलैंड के लुबलिन क्षेत्र में मौजूद यहूदियों को खत्म करने का हुक्म दिया था. इसके अलावा अक्तूबर 1943 में एक कैंप में यहूदियों की बगावत के चलते भी हिमलर ने ये फैसला लिया था.
लुबलिन में हजारों पुलिसवाले और नाजी सैनिक 2 नवंबर को पहुंच गए थे. इस दिन इन लोगों ने इस ऑपरेशन को लेकर बात की थी. नाजी जर्मन सैनिकों ने सबसे पहले माज्देनेक कैंप में यहूदियों का खात्मा शुरू हुआ था. यहां यहूदी कैदियों को दूसरे कैदियों से अलग कर दिया गया था. शाम तक 18,400 यहूदियों को गोली मार दी गई थी. इसी दिन त्राव्निकी कैंप में 6000 लोगों को मारा गया था.
माज्देनेक कैंप में ऑपरेशन पूरा करने के बाद नाजियों ने पोन्यातोवा कैंप में जाने का फैसला किया था और यहां मौजूद 14500 यहूदी कैदियों को 4 नवंबर को मार दिया गया था.
इन सभी तीनों कैंप में यहूदियों को निर्वस्त्र किया गया था और काफी तेज म्यूजिक चला दिया गया था ताकि गोलियों की आवाज और कैदियों की चीख के चलते आसपास के क्षेत्रों में लोगों को पता ना चले.
इस ऑपरेशन के बाद लुबलिन जिले में करीब 10 हजार यहूदी लोग बचे थे. जिन यहूदियों को छोड़ दिया गया था, उन्होंने ही इन लाशों का अंतिम संस्कार किया था. 2 दिनों में लगभग 40-45 हजार लोगों की मौत के चलते ऑपरेशन हारवेस्ट फेस्टिवल को हिटलर सेना के सबसे खतरनाक और नृशंस ऑपरेशन माना जाता है.
माज्देनेक के कैदियों ने इन दो दिनों को काले दिन के तौर पर मनाना शुरू किया था. इस नरसंहार में कई लोग ऐसे भी थे जो स्क्लिड वर्कर्स थे और उन्होंने अंतिम समय तक आस थी कि वे अपने हुनर के कारण बच जाएंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. कई यहूदियों को भी सिर्फ इसलिए छोड़ा गया था ताकि वे बाकी मरे हुए लोगों का अंतिम संस्कार कर सकें.