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सफेद मगरमच्छ के ठाठ...ब्रश से सफाई, खास खातिरदारी भी

सफेद मगरमच्छ के ठाठ...हर दिन ब्रश से सफाई, खास खातिरदारी भी
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क्या कभी आपने सफ़ेद मगरमच्छ देखा है...यह बात जरूर आपके मन में कई सवाल खड़े कर रही होगी. लेकिन यह सच है. अमेरिका के नॉर्थ केरोलिना स्थित एक जू में सफेद मगरमच्छ मौजूद है.
सफेद मगरमच्छ के ठाठ...हर दिन ब्रश से सफाई, खास खातिरदारी भी
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दिलचस्प बात तो यह कि इस सफेद मगरमच्छ की खातिरदारी भी ठाठ-बाट से होती है. क्योंकि ये मगरमच्छ सामान्य प्राकृतिक अवस्था में जीवित नहीं रह पाता है. इसलिए बाकायदा इस सफेद मगरमच्छ की रोज ब्रश से सफाई होती है और जिस पानी में वह रहता है उसे भी कुछ दिनों के अंतर में बदला जाता है.
सफेद मगरमच्छ के ठाठ...हर दिन ब्रश से सफाई, खास खातिरदारी भी
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14 साल के इस सफेद मगरमच्छ का नाम है लूना, जो अलबिनो (सफेद बीमारी) से ग्रसित है. दुनिया में अलबिनो मगरमच्छ बेहद दुर्लभ हैं.
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शिकागो जूलॉजिकल सोसाइटी के मुताबिक, पूरी दुनिया में केवल 100 अलबिनो मगरमच्छ हैं. बताया जाता है कि सफेद मगरमच्छ की खाल नर्म होती है जिस कारण वो खुद को शिकारियों से नहीं बचा पाता है इसलिए वह सामान्य प्राकृतिक अवस्था में नहीं रह पाता है.
सफेद मगरमच्छ के ठाठ...हर दिन ब्रश से सफाई, खास खातिरदारी भी
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जानकारों का यह भी कहना है कि अलबिनो मगरमच्छ बाकी मगरमच्छों की तुलना में धूप नहीं सेंकता है. क्योंकि धूप से इसकी चमड़ी और आंखें जल जाती है. इसलिए अलबिनो मगरमच्छ अपने शिकार को भी नहीं देख पाता है.
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कुछ साल पहले साउथ केरोलिना के एक एक्वेरियम में एलबस्तर नाम के एक अलबिनो मगरमच्छ की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि एलबस्तर की चमड़ी पर इंफेक्शन हो गया था. जिस कारण उसका रंग लाल हो गया था और उसकी मौत हो गई थी.
सफेद मगरमच्छ के ठाठ...हर दिन ब्रश से सफाई, खास खातिरदारी भी
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अलबिनो (Albino) एक विशेष तरह की जेनेटिक बीमारी है जो किसी भी इंसान, मछली, बंदर, स्तनधारी या सरिसृपों को हो सकती है. इसके चलते त्वचा, आंख और बाल का रंग सफेद हो जाता है. इस बीमारी से ग्रसित जीव अत्यधिक संवेदनशील होते हैं.
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