चीन अपनी चालों के लिए जाना जाता है. दो महीने के गतिरोध के बाद चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा से पीछे हट गया है. चीन ने अपने सैन्य बल, टेंट और अस्थाई ढांचे भी हटा लिए हैं. लेकिन क्या चीन एक बार फिर 1962 के युद्ध में चली चाल को दोहराएगा. क्योंकि एक अंग्रेजी अखबार की कटिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
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जिस अखबार की कटिंग वायरल हो रही है, उसमें लिखा है कि Chinese Troops Withdraw from Galwan Post यानी चीनी सैनिक गलवान पोस्ट से हट गए. अखबार की कटिंग 15 जुलाई 1962 की है. 1962 में भी गलवान घाटी ही वह जगह थी जहां से चीन पहले पीछे हटा था फिर वहीं से उसने युद्ध किया था. इस बार फिर चीन गलवान घाटी से पीछे हटा है.
From 1962 two weeks before the Indo China war . Hope history does not repeat itself for once. pic.twitter.com/mvOxIAf8U0
1962 में गलवान पोस्ट भारतीय सेना के अधिकार में था. वहां पर गोरखा रेजिमेंट की एक छोटी सी टुकड़ी तैनात थी. जून में चीन की सेना ने उसे घेरना शुरू कर दिया. भारत के दबाव पर चीन चौकी से पीछे हटने को मजबूर हुआ. तब 15 जुलाई को अंग्रेजी अखबार में यह खबर भी छपी कि चीनी सेना पीछे हट गई है.
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कुछ ही घंटे बाद चीन की सेना ने गलवान चौकी को घेरना शुरू कर दिया था. इसके बाद गलवान पोस्ट पर जाट रेजिमेंट की एक प्लाटून भेजी गई थी. 20 अक्टूबर 1962 को चीन की सेना के करीब 2000 सैनिकों ने भारतीय चौकी पर हमला कर दिया था.
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फिलहाल भारतीय सेना और चीन की सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा से भौतिक दूरी बढ़ाने का ज्यादा प्रयास कर रहे हैं. इससे सैनिकों के बीच होने वाली झड़पें कम हो जाएंगी. हालांकि, चीन की किसी भी चाल का भरोसा नहीं किया जा सकता.
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15 जुलाई 1962 के अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार चीन की सेना वापस तो चली गई थी, लेकिन इसके 96 दिन बाद 20 अक्टूबर को चीन ने भारतीय पोस्ट पर हमला कर दिया था. फिर भारत-चीन का युद्ध हुआ. इसके पहले 10 जुलाई 1962 को भी चीन के 300 सैनिकों ने 1/8 गोरखा रेजिमेंट को घेर लिया था.
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जुलाई से लेकर अक्टूबर तक भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रणनीतिक और कूटनीतिक बातचीत चलती रही. इस बीच नायक सूबेदार जंग बहादुर ने गोरखा रेजिमेंट के सैनिकों के साथ अपनी पोस्ट पर कब्जा कर लिया. आज भी इनकी बहादुरी की कहानियां सुनाई जाती हैं.
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गलवान घाटी में अक्टूबर में ही पारा माइनस में चला जाता है. तब उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने गोरखाओं को हटाकर मेजर एसएस हस्बनीस के कमांड में 5 जाट अल्फा कंपनी को भेजा.
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चीनी सैनिकों ने 20 अक्टूबर 1962 को गलवान पोस्ट को जला दिया. साथ ही 36 भारतीय सैनिकों को शहीद कर डाला. मेजर हस्बनिस को पकड़ लिया गया. इसी के साथ भारत चीन का युद्ध शुरू हो गया. मेजर हस्बनिस ने 7 महीने युद्ध कैदी की तरह रहे. युद्ध खत्म होने के बाद वापस लौटे.