एक 38 साल के शख्स ने 2 सालों तक गर्लफ्रेंड को कैद करके रखा और रोज रेप किया. हाल ही में लड़की ने Against My Will नाम से एक किताब प्रकाशित की है जिसमें उन्होंने खुद के साथ हुई दर्दनाक घटना को दुनिया के सामने रखा है. लड़की ने कहा कि उसे अपने ही घर में कैद कर दिया गया था. (प्रतीकात्मक फोटो - Getty)
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26 साल की सोफी क्रॉकेट इंग्लैंड के वेल्स की रहने वाली हैं. सोफी Asperger सिंड्रोम से पीड़ित रही हैं. इसकी वजह से व्यक्ति को सोशल इंटरैक्शन में दिक्कत होती है.
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सोफी को मैथ्यू टिब्बल नाम के शख्स ने कैद कर लिया था. सोफी ने लिखा कि मैथ्यू उन्हें तब तक खाने-पीने नहीं देता था जब तक वह रेप न करे. सोफी ने डर जताया है कि मैथ्यू बदला लेने के लिए फिर उन पर हमला कर सकता है. (प्रतीकात्मक फोटो)
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घटना की शुरुआत तब हुई जब सोफी 17 साल की थी. सोफी ने किताब में लिखा है कि अक्सर उन्हें नेकेड रखा जाता था और बच्चों जैसे कपड़े पहनाए जाते थे. (प्रतीकात्मक फोटो)
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करीब दो साल कैद में रहने के बाद आखिरकार जुलाई 2012 में सोफी कैद से भागने में सफल रही थीं. इसके एक साल बाद मैथ्यू ने कोर्ट में कबूल कर लिया था कि उसने गलत तरीके से सोफी को कैद रखा. (प्रतीकात्मक फोटो)
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गुनाह कबूलने के एक समझौते के तहत प्रॉसेक्यूटर ने मैथ्यू के ऊपर से रेप के आरोप हटा लिए थे. इसके बाद मैथ्यू को मनोरोग अस्पताल में अनिश्चित काल के लिए भेज दिया गया था. लेकिन सिर्फ 4 साल वहां रखने के बाद 2018 में उसे छोड़ दिया गया.
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सोफी ने बताया कि मैथ्यू को डिटेंशन सेंटर से छोड़े जाने की खबर सुनकर उन्हें झटका लगा था. सोफी को अब डर है कि मैथ्यू उससे बदला लेने के लिए आ सकता है और दोबारा हमला कर सकता है.
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सोफी बचपन में खाने की समस्या, डिप्रेशन, एन्जाइटी से परेशान रहती थीं और डर की वजह से घर से बाहर कम ही निकलती थीं. इसी दौरान मैथ्यू से उनकी मुलाकात हुई. मैथ्यू ने सोफी को पैरेंट्स से अलग कर दिया और एक अलग घर में रहने लगा.
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मैथ्यू सोफी के पैरेंट्स को भी धमकी देता था. मैथ्यू कहता था कि अगर बात नहीं मानी तो पैरेंट्स को मार देगा. सोफी ने कहा कि वह जंगली जानवर की तरह व्यवहार कर रहा था.
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मैथ्यू से जुड़े अपराधों पर सजा सुनाते हुए एक जज ने कहा था कि वह सभी महिलाओं के लिए खतरा है. वहीं, साइकैट्रिक हॉस्पिटल से 4 साल बाद मैथ्यू को छोड़े जाने पर न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि ऐसी स्थिति में रिहा किए जाने वाले लोगों पर सोशल वर्कर और क्लिनिकल सुपरवाइजर नजर रखते हैं.