सेनाध्यक्ष और केंद्र सरकार के बीच बढ़ते गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा है कि तीनों सेनाओं के प्रमुखों पर सरकार का विश्वास है. वे काम कर रहे हैं. सेनाध्यक्ष द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी हुई चिट्ठी लीक हो जाने के मामले पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने यह बात कही.
सातवें ‘डिफेंस एक्सपो’ के उद्घाटन समारोह के दौरान रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा कि भारत के चारों ओर संवेदनशील सुरक्षा माहौल है और इसके पड़ोसी देश बहुत तेजी से अपने सुरक्षा बलों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं.
सेनाध्यक्ष द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी हुई चिट्ठी लीक हो जाने के बारे उन्होंने कहा कि जिसने भी पत्र लीक किया है, वह राष्ट्र विरोधी है. यह केवल दुश्मनों की मदद करेगा.
उन्होंने कहा, 'हम सेना प्रमुख के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के लीक होने के मामले की तह में जाने के बाद कानून के मुताबिक कठोर कदम उठायेंगे.'
रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार के मामले पर एंटनी ने कहा कि भ्रष्टाचार को हम कतई सहन नहीं करते हैं. खरीद प्रक्रिया में, यदि हम किसी भी स्तर पर कोई अनियमितता पाते हैं तो हम इसे रद्द करने से नहीं हिचकेंगे.
एंटनी ने कहा कि रक्षा खर्च में इजाफा होना तो तय है क्योंकि किसी खतरे से मुकाबले के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी एवं उपकरणों तक सशस्त्र बलों की पहुंच होना जरूरी है.
सातवें ‘डिफेंस एक्सपो’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘अगले दो दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था की 8-10 फीसदी की दर से बढ़ोतरी होने के अनुमान के साथ रक्षा क्षेत्र पर होने वाले खर्च में इजाफा होना भी तय है.’
रक्षा आवंटन को देश की जरूरतों के अनुकूल बताते देते हुए एंटनी ने कहा, ‘हालिया दिनों में भारत का रक्षा खर्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब दो फीसदी रहा है जो हमारी सुरक्षा जरूरतों के साथ-साथ हमारी अन्य जरूरतों के मुताबिक है.’
स्वदेशीकरण की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि रक्षा उद्योग में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पर जोर दिए जाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में उपलब्ध संभावित एवं प्रयोग किए जा रहे संसाधनों से भरपूर लाभ लेकर स्वदेशीकरण की क्षमताएं विकसित करने वाली नीति का खाका तैयार किया गया है.’
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा राज्य मंत्री एम एम पल्लम राजू ने कहा कि सरकार सशस्त्र बलों के लिए दीर्घकालिक एकीकृत नीति को अंतिम रूप दिए जाने की प्रक्रिया में है.
रक्षा क्षेत्र की वृद्धि में रक्षा जरूरतों की बाबत सूचना के अभाव को बड़ी बाधा करार देते हुए राजू ने कहा, ‘रक्षा खरीद प्रकिया के तहत अब यह जरूरी है कि अधिग्रहण के सभी मामलों में सूचना का आग्रह जारी किया जाए.’
रक्षा ऑफसेट नीति पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘रक्षा ऑफसेट नीति की समीक्षा की गयी है और आगे इसमें बदलाव होने की संभावना है.’ उन्होंने कहा, ‘हम समय-समय पर रक्षा खरीद प्रक्रिया की समीक्षा करते रहते हैं ताकि रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में ज्यादा पारदर्शिता और तीव्रता आ सके.’
रक्षा उद्योग में भारत का निजी क्षेत्र 100 फीसदी निवेश के काबिल है जबकि इस क्षेत्र में 26 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने की इजाजत है.