हां, हां हमें पता है कि अगर आप फेसबुक नहीं करेंगे तो दुनिया इधर से उधर हो जाएगी. कयामत की आशंका बढ़ जाएगी और आपके कितने अपने पराए हो जाएंगे. बहुत मुमकिन है कि जकरबर्ग को एक टाइम का खाना भंडारा या गुरुद्वारा में खाना पड़े. तो इस्तेमाल करें, मगर प्यार से. पर ध्यान रखें कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी. सलाह ये है कि फेसबुक का इस्तेमाल सिर्फ दफ्तर में ही करें. घर पर नहीं. और ये रहीं इस सलाह के समर्थन में 10 वजहें. ऐप्स की दुनिया में भी फेसबुक की बादशाहत बरकरार
1. दफ्तर में इंटरनेट की स्पीड तेज होती है. तो फेसबुक फटाफट खुलेगा. किसी भी दोस्त के शेयर किए लिंक भी जल्द खुलेंगे. उनके सुझाए वीडियो भी फटाफट डाउनलोड होंगे. यकीनन आपका इंटरनेट खर्चा बचेगा.
2. दफ्तर में फेसबुक करने से बोरियत नहीं होती. काम का पता ही नहीं चलता. जैसे ही बॉस दाएं-बाएं हुआ, या कोई बोरिंग मोमेंट आया. आपने दन्न से क्लिक दे मारा फेसबुक पर. कुछ नहीं तो जो दोस्त ऑनलाइन दिख रहे हैं, उनके संदेश बक्से में एक हाय ही फटकार दिया. वह भी खुश. देखो, इतने बिजी टाइम में भी याद कर रहा है हमें.
3. घर पर फेसबुक नहीं करेंगे तो आपको बाकी काम करने का समय मिल जाएगा. जैसे बीवी की बातों पर आंखों में आंखें डालकर ध्यान देना. या फिर उसके साथ मास्टरशेफ ऑस्ट्रेलिया देखना.
4. ठुल्ले टाइप के दोस्त आपको बेवजह तंग नहीं कर पाएंगे. अभी क्या होता है कि आप स्मार्टफोन के चक्कर में हरे पीले दिखते रहते हैं फेसबुक पर. और वो हाय, हाउ आर यू ठोक देते हैं. आप उत्सुकता के मारे उनका मैसेज चेक कर लेते हैं. अब जवाब न दें तो आफत, क्योंकि लास्ट सीन की एंट्री हो चुकी है.
5. ये एक स्टाइल स्टेटमेंट भी है. चार बालक बालिका आपके सामने लपर चपर करें तो आप कह सकते हैं. आई हार्डली यूज फेसबुक. इट्स सो बोरिंग एंड ओवर एस्टीमेटेड. तुरंत आपका सेंसेक्स तन जाएगा. जैसे उन लोगों को श्रद्धा की निगाह से देखा जाता है, जो मोबाइल फोन यूज नहीं करते. वैसी ही कुछ कुछ नजर आप पर भी पड़ेगी.
6. आपको अंगूठा दुआएं देगा. एकलव्य मुस्कुराएंगे. आज के द्रोणाचार्य ने तमाम धनुर्धरों को चौपट करने के लिए स्मार्ट फोन के ऐप बनाए. अब रगड़े रहो उस पर दिन भर अंगूठा. ये स्क्रॉल, तो वो स्क्रॉल. कभी महसूस किया है. रात में कैसे हल्की सी दर्द की सुरसुरी होती है अंगूठे के किनारे पर. खतरा पास है. संभल जाओ भीम. दफ्तर में करोगे फेसबुक तो दसों उंगली इस्तेमाल होंगी. और फोन पर नहीं करोगे तो अंगूठा बचेगा.
7. स्मार्ट फोन को स्मार्ट क्या बनाता है. हजार जवाब दे सकते हैं. तेजी, इंटरनेट, सुंदरता, काम की चीजें. वगैरह वैगरह. मगर इन सबके ऊपर है उसकी चिकनी चमकदार स्क्रीन. बुजुर्ग कह गए हैं. चीजों का इस्तेमाल संयम के साथ करो तो चांद तक चलती हैं. अगर आप फेसबुक नहीं करेंगे तो घड़ी घड़ी स्क्रीन की बत्ती भी नहीं जलेगी. लॉन्ग लाइफ का झिंगा लाला पक्का.
8. घर पर फेसबुक नहीं करता. तो फिर क्या करता है. गाने सुनता है. किताबें पढ़ता है. फिल्में देखता है. वॉक पर जाता है. यानी वो सारे काम करता है, जिनसे जिंदगी बेहतर होती है. और फेसबुक. वो तो मंडे को भी अपनी ही जगह पर रहेगा न.
9. फेसबुक का चुनिंदा इस्तेमाल आपको दोस्तों के बीच तो एक्सक्लूसिव बनाएगा ही. इस मजेदार साइट के प्रति आपेक मन में भी चार्म बना रहेगा. सोचिए, दो दिन के इंतजार के बाद मनडे ब्लूज से लड़ते हुए आप कांपते हाथों और बुदबुदाते होठों के साथ अपना फेसबुक अकाउंट खोलते हैं. 29 नोटिफिकेशन और 3 फ्रेंड रिक्वेस्ट की लालामी आपके गालों पर पसर जाती है.
10. हम फेसबुक के खिलाफ नहीं हैं. हम आपके खिलाफ भी नहीं हैं. हम सोशल कनेक्टिविटी के खिलाफ भी नहीं हैं. हम तो उस बीमारी के खिलाफ हैं, जो आपके अंदर जाने अनजाने घर कर गई है. जिसके चलते आप फोन पर घड़ी घड़ी फेसबुक चेक करते हैं. फोटो डालते ही हर लाइक की तलाश में नोटिफिकेशन और रिफ्रेश की दूरी तय करते हैं. और फिर पता भी नहीं चलता कब आप जरूरी बात करते हुए, कार चलाते हुए या खाना खाते हुए ध्यान वहां से भटकाकर फेसबुक पर ला रहे हैं. इसलिए, हमारी मानें, फेसबुक का चुनिंदा इस्तेमाल करें. अच्छा लगता है.