दशकों तक आतंक का पर्याय रहे वीरप्पन आज ही के दिन पैदा हुआ था. दक्षिण भारत के इस कुख्यात चंदन तस्कर के नाम दर्जनों मामले दर्ज थे. दहशत के दूसरे नाम वीरप्पन को जानिए इन 10 बातों से.
1. वीरप्पन का पूरा नाम कूज मुनिस्वामी वीरप्पन था, वह 18 जनवरी 1952 को पैदा हुआ था.
2. दशकों तक आतंक का पर्याय चंदन तस्कर वीरप्पन पर हाथियों के अवैध शिकार, पुलिस, वन अधिकारियों की हत्या जैसे कई मामले दर्ज थे.
3. वीरप्पन को पकड़ने में सरकार ने कुल 20 करोड़ रुपये (हर वर्ष 2 करोड़) खर्च किए.
4. 18 साल की उम्र में तस्करी की शुरुआत करने वाला वीरप्पन कुछ ही सालों में पूरे गिरोह का सरगना हो गया.
5. वीरप्पन के बारे में कहा जाता है कि उसने 2000 से अधिक हाथियों का शिकार किया, लेकिन उसकी जीवनी लिखने वाले सुनाद रघुराम का कहना है यह संख्या 200 से अधिक नहीं होगी.
6. वीरप्पन के गिरोह में कुल 40 लोग थे जो उसके इशारे पर जान तक देने को तैयार थे. वीरप्पन पुलिस वालों को शिकार बनाता था. उसके अनुसार पुलिस ने ही उसके भाई-बहन को मारा है और वह इन पुलिसवालों को मारकर अपना बदला पूरा कर रहा है.
7. वीरप्पन कला-प्रेमी था. उसने अंग्रेजी फिल्म द गॉडफादर लगभग 100 बार देखी थी. उसे कर्नाटक संगीत भी काफी प्रिय था.
8. वीरप्पन को अपनी घनी मूंछे बहुत पसंद थीं. वह माँ काली का बहुत भक्त था और कहा जाता है कि उसने एक काली मंदिर भी बनवाया था.
9. 1993 में पुलिस ने उसकी पत्नी मुत्थुलक्ष्मी को गिरफ्तार कर लिया. अपने नवजात बच्चे के रोने और चिल्लाने से वह पुलिस की गिरफ्त में न आ जाए इसके लिए उसने अपनी संतान की गला घोंट कर हत्या कर दी.
10. अक्टूबर 2004 को उसे मार दिया गया. उसके मरने पर भी कई तरह के विवाद हैं. उसका प्रशिक्षित कुत्ता और बंदर उसके मरने के बाद सामने आए. उसका कुत्ता मथाई कई मामलों में गवाह की भूमिका निभा रहा है. वह भौंक कर अपनी भावना व्यक्त करता है.