ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में काले कोयले पर हुआ खूनी संग्राम. विधानसभा का घेराव करने आए करीब 25 हजार कांग्रेस कार्यकर्ता पुलिस से भिड़ गए. कुछ प्रदर्शनकारियों ने तो हैवानियत की हदें लांघ दी. एक महिला कांस्टेबल को इतनी बेहरमी से पीटा कि वो मौत के कगार पर पहुंच गई है. फिलहाल ये महिला कांस्टेबल भुवनेश्वर के एक अस्पताल की आईसीयू में नाजुक हालत में भर्ती है.
हंगामे की शुरुआत तब हुई जब नेताओं के भाषण के बाद कार्यकर्ता विधानसभा का घेराव करने आगे बढ़े. पुलिस ने इन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन कार्यकर्ता बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ चले. कुछ लोग पुलिस वालों पर पत्थर बरसाने लगे. हंगामा करने वाले जिस तरह लाठियों से लैस थे उससे साफ लग रहा है कि ये हंगामे की तैयारी के साथ आए थे. सवाल उठता है कि इस हिंसा की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या कांग्रेस अपनी जवाबदेही से बच सकते हैं?
राज्य के पुलिस प्रमुख प्रकाश मिश्रा ने कहा कि प्रदर्शन स्थल कुछ ही देर में झड़प स्थल के रूप में तब्दील हो गया. पुलिस व प्रदर्शनकारी एक-दूसरे को खदेड़ते देखे गए. उन्होंने कहा, 'पुलिस ने न्यूनतम बल प्रयोग किया. उन्होंने (कांग्रेस के लोग) बेरिकेडों को तोड़ा और पुलिस पर पथराव किया. कम से कम 60 पुलिसकर्मी घायल हो गए.' वहीं, एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रदर्शनकारी तब हिंसक हुए जब पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया.
कांग्रेस नेता चंद्रशेखर साहू ने संवाददाताओं से कहा, 'कांग्रेस कार्यकर्ता शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे. पहले पुलिस ने उन पर प्रहार किया, उन पर पत्थर फेंके. हमारे कार्यकर्ताओं के सिर में चोट लगी है.' राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राजधानी भुवनेश्वर में पहली बार बड़ी रैली की. कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए मुख्यमंत्री पटनायक के इस्तीफे की मांग की.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने हिंसक घटना से पूर्व जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा, 'लोगों ने नवीन पटनायक को इस उम्मीद से सत्ता सौंपी थी कि वह ओडिशा का भाग्य बदलेंगे. अब उनके शासन के 12 वर्ष बाद राज्य दरिद्र बन गया है.'
उधर, कांग्रेस की रैली पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नवीन पटनायक ने कहा कि राज्य सरकार पर झूठे आरोप लगाना कांग्रेस नेताओं की पुरानी आदत है. कांग्रेस जब खुद सत्ता में आती है, तब कोई वादा पूरा नहीं करती. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, '2009 के आम चुनाव में कांग्रेस ने गरीबों को तीन रुपये प्रति किलो चावल देने का वादा किया था. उसे वादे का क्या हुआ?' हाल के अन्य घोटालों का भी जिक्र किया.