अपने करियर का 100वां शतक पूरा करने वाले भारत के धुरंधर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि शतकों के शतक का दबाव उनके ऊपर मनोवैज्ञानिक तौर पर हावी हो रहा था क्योंकि बीते एक साल से मैच दर मैच इसकी चर्चा जारी थी.
सचिन ने बांग्लादेश के खिलाफ शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम में 114 रनों की पारी खेली. उनके नाम टेस्ट मैचों में 51 और एकदिवसीय मैचों में 49 शतक दर्ज हैं. सचिन का 100वां शतक 370 दिनों के बाद सामने आया क्योंकि उन्होंने अपना 99वां शतक 12 मार्च, 2011 को नागपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगाया था.
सचिन ने कहा, 'यह मायने नहीं रखता कि आपने किसके खिलाफ शतक लगाया है और कैसे लगाया है. यह मायने रखता है कि आपका शतक टीम के कितने काम आया है. मेरे लिए यह शतक काफी अहम है क्योंकि इसके साथ ही मेरे मन पर से एक बोझ उतर गया, जो बीते एक साल से मुझ पर हावी था.' 'मैं जहां भी जाता, महाशतक की चर्चा होती. लोग मुझे राय देते. हर आदमी यह कहता कि आखिरकार मैं शतक पूरा क्यों नहीं कर पा रहा हूं. स्टेडियम में मीडिया और रेस्तरां में आम लोग उसे लेकर सुझाव देते. मैं समझ नहीं पा रहा था कि मेरे शतक को लेकर लोग इतने उतावले क्यों हैं. मीडिया ने तो इसे लेकर एक लिहाज का दबाव बना दिया था.'
आने वाली पीढ़ी को क्या सलाह देंगे, यह पूछे जाने पर सचिन ने कहा कि खेल का लुत्फ लो और अपने सपनों का पीछा करो क्योंकि सपने पूरे होते हैं. सचिन ने कहा, 'मेरा सपना विश्व कप जीतना था, जो मैंने अपने करियर के 21 साल बाद जीता. इस लिहाज से मैं सबको यही कहूंगा कि कभी भी सपने देखना और उसकी पीछा करना बंद मत करो क्योंकि सपने पूरे होते हैं.'